कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
साँसों में चढ़ते एहसासों के रेले,
धुएँ से ठहरते हैं ख्वाबों के मेले...!
अल्फ़ाज़ खुद में लिपट से गये हैं,
सिहरते, लरज़ते...सिमट से गये हैं..!
कोई धुन सजाओ... मुझे गुनगुनाओ..,
चाहत की नर्म धूप...ज़रा तुम खिलाओ...!
नज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
मेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें...!
पिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
बहुत प्यारी गज़ल... हरेक शेर जैसे शबनम में भीगा हुआ गुलाब है!
ReplyDeleteसुन्दर गीत .....
ReplyDeleteशब्दों का प्रभावी चयन |
सादर
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
ReplyDeleteमैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
वाह!! बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति.
नज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
ReplyDeleteप्रभावी और भावपूर्ण प्रस्तुति.*****मेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें...!
पिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
आप बहुत अच्छा लिखती हैं।
ReplyDeleteआप की टिप्पणी मेरे ब्लॉग पर दिख रही है अब:)और मेरा जवाब भी
beautiful.......
ReplyDelete<3
love
anu
मन को भा गयी आपकी ये पोस्ट ...
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
ReplyDeleteमैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
वाह!! बहुत सुंदर
बहुत सुन्दरता से लिखी और पेश की गई शानदार रचना हार्दिक बधाई
ReplyDeleteमनहर बिम्ब विधान ,भाव और विचार की प्रेम में पूर्ण समर्पण मुग्धा -भाव की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है रचना में .,
ReplyDeletewahhh...kya khoob likha hai apne ....
ReplyDeleteMai apne saanye me kho si gayi hu'n
http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post.html
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
ReplyDeleteमैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
वाह ...बहुत खूब
कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
ReplyDeleteमैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
बहुत ही खूबसूरत, शुभकामनाएं.
रामराम.
ठण्ड भी कैसे कैसे एहसास जगा देती है । बहुत खूबसूरत ।
ReplyDeleteनाज़ुक , ख़ूबसूरत श़ेर , मोती से गुँथे , वाह !!!
ReplyDeleteमेरी इस रचना को पसंद करने का आप सबका तहे दिल से धन्यवाद व आभार ! :-)
ReplyDelete~सादर!!!
ReplyDeleteपिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !
खूबसूरत एहसासों से भरी रचना .... सुंदर
प्रेम में विरह भाव ,अवदान की सशक्त अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteएक गज़ल की आत्मकथा!! एहसासों की उर्जा!!
ReplyDeleteकोई धुन सजाओ... मुझे गुनगुनाओ..,
ReplyDeleteचाहत की नर्म धूप...ज़रा तुम खिलाओ...!... ek khoobsurat ehsaas
खूबसूरत ख्यालात..खनकते शब्द..
ReplyDeleteस्वयं को स्थापित करती प्रभावी रचना !
ReplyDeleteनज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
ReplyDeleteमेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें...!
bahut sundar gajal hr sher lajbab ....abhar .
आपकी सद्य टिपण्णी हमारे सिरहाने की निकटतर राजदान हैं रहेंगी .आभार .
ReplyDeleteमेरी रचना को सराहने व प्रोत्साहन के लिए आप सभी गुणी जनों का तहे दिल से धन्यवाद व आभार! :-)
ReplyDelete~सादर!!!
milejule jazbaato ki baaraat si hae apki ye rachna..behatreen.
ReplyDeleteपिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
ReplyDeleteतुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !
खूबसूरत एहसासों से भरी रचना .... सुंदर
इस भाव को दर्शाती मेरी नयी पोस्ट
Gift- Every Second of My life.
phir bhi jeevan me ashavan hona jaroori hai
ReplyDeleteआप सभी का मेरी रचना पसंद करने व प्रोत्साहन देने का हार्दिक धन्यवाद व आभार!
ReplyDelete~सादर!!!
उम्दा अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें ........