साहिल की खामोशी देखी, लहरों की बेचैनी देखी,
पुरसुक़ून सागर के दिल में... मैनें गहरी बेक़रारी देखी !
बेताब मचलती लहरें आकर ,पाँवों से मेरे लिपट-लिपट कर ....
तर-ब-तर मुझको कर जातीं....बेकल, बेबस दिखा के मंज़र...!
मेरे तन्हा दिल में भी.. उदासी के समंदर जगते,
जज़्बातों के रेले उठते.. एहसासों के मेले लगते...!
मुझे सराबोर कर जातीं... अश्कों की मौजें तूफ़ानी...,
गम के प्याले छलक ही जाते... बहती... आँखों से कहानी..!
देख मेरी हसरतों का पानी.... रेत पे लिख तहरीरें अपनी...,
लहरें वापस लौट ही जातीं... अपने वजूद की छोड़ निशानी...!
बेबस अरमानों के ढेर में.... टूटे ख्वाबों के रेतमहल में...,
पी क़तरा क़तरा..ख्वाहिशें मैनें...हुईं जज़्ब वही मेरी रूह में..!!!