आसमाँ से बिखरता हल्दी-कुंकुम-महावर,
हवा के मेहँदी लगे पाँवों में उलझती …
सुनहरी पाजेब की रुनझुन,
आँचल में लहराते-सिमटते चाँद-सितारे,
सुर्ख़ डोरों से बोझिल …
क्षितिज पर झुकती बादलों की पलकें,
फूलों से टँकी रंग-बिरंगी चूनर की ओट में …
लजाते हुए धरा के सिन्दूरी गाल ....
~प्यार कब नहीं होता फ़ज़ाओं में ?
काश! हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते...~
हवा के मेहँदी लगे पाँवों में उलझती …
सुनहरी पाजेब की रुनझुन,
आँचल में लहराते-सिमटते चाँद-सितारे,
सुर्ख़ डोरों से बोझिल …
क्षितिज पर झुकती बादलों की पलकें,
फूलों से टँकी रंग-बिरंगी चूनर की ओट में …
लजाते हुए धरा के सिन्दूरी गाल ....
~प्यार कब नहीं होता फ़ज़ाओं में ?
काश! हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते...~
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, धन्यबाद .
ReplyDeleteबहुत ही कोमल अहसासों को समेटे एक प्यारी सी कविता ... बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteकाश...बहुत सुंदर लिखा है
ReplyDeleteभाई -बहन दोनों की तरफ़ से एक-एक लाइन स्नेह के साथ ....
ReplyDeleteकाश! हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते
जिन्दगी समझोता न होती ये एतबार कर पाते .....
very nice indeed
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता अनीता जी |
ReplyDeleteवाह ... अनुपम भाव संयोजन
ReplyDeleteबहुत खूब
wah wah bahut bahut sundar....man ko bha gayi apki ye rachna
ReplyDeleteआभार शास्त्री सर...
ReplyDelete~सादर
आप सभी का ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद ! :)
ReplyDelete~सादर
bahut sundar rachana...
ReplyDelete:-)
हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते....
ReplyDeleteप्यार कब नहीं होता----
ReplyDeleteपूरी कि पूरी कायनात प्यार ही तो है----नजर चाहिये
बहुत सुंदर-सरल-सहज
खूबसूरत एहसास से भरी प्यारी रचना ....
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति से साक्षात्कार हुआ । मेरे नए पोस्ट "सपनों की भी उम्र होती है "पर आपकी प्रतिक्रिया अपेक्षित है।
ReplyDeleteसराहना व प्रोत्साहन के लिए आप सभी का ह्रदय से धन्यवाद एवं आभार ! :)
ReplyDelete~सादर
प्रकृति की हर करवट में प्रेम है प्रतिदिन !
ReplyDeleteभावपूर्ण !
...काश ...:)
ReplyDeleteमन में प्यार हो तो सब जगह दीखता है.
ReplyDeleteवाकई !!
ReplyDeleteकाश हम कर पाते !!
क्षितिज पर झुकती बादलों की पलकें,
ReplyDeleteफूलों से टँकी रंग-बिरंगी चूनर की ओट में …
लजाते हुए धरा के सिन्दूरी गाल ....
~प्यार कब नहीं होता फ़ज़ाओं में ?
काश! हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते...~
सराहना व प्रोत्साहन के लिए आप सभी का धन्यवाद एवं आभार...! :)
ReplyDelete~सादर
बहुत मनमोहक सा है ये "काश" ...... सस्नेह :)
ReplyDeleteप्रेममय पोस्ट और सुन्दर कविता के लिए आभार |
ReplyDeleteआमीन !
ReplyDeleteप्रेम तो सदैव और सर्वत्र होता है .. जगत प्रेम माय है , अपने स्वार्थ और माया वश हम प्रेम से दूर होते जा रहे हैं.. बहुत सुन्दर कविता ..
ReplyDeleteप्रेम-प्रवण कविता अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। शुभ रात्रि।
ReplyDeleteWaaaaaaaaaaaaaaah
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
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