Sunday, 22 December 2013

~** अब कोई ख्वाब नहीं उगता ... **~

Photo: Anita Lalit

एहसासों की सूनी चौखट पर ...
अब कोई चाँद नहीं रुकता
दिल की इस बंजर ज़मीं पर...
अब कोई ख्वाब नहीं उगता..!

एक सन्नाटा गूँजता है...
वीरान हुई इन आँखों  में...
बर्फ़ीली पगडंडी पर जैसे...
कोई खामोश कहानी ...
चहलक़दमी करती हो...!

एक सेहरा झुलसता है...
सूखे हुए इन होठों पर...
रौंद... पैरों के निशाँ जैसे....
खुद मंज़िल प्यासी...
बेमक़सद भटकती हो !

एक तूफान सा उठता है...
डूबे हुए इस वजूद में..
जज़्बातों की चीखें जैसे...
छटपटाती...
दम तोड़ती...घुटती हों ....!

एक चेहरा सिहरता है...
बेजान सी ज़िंदगी में...
सिर छुपाए घुटनों में जैसे...
साँसों की धड़कन...
सिसकती हो...!