Tuesday, 11 February 2014

~**प्यार कब नहीं होता फ़ज़ाओं में ?**~

आसमाँ से बिखरता हल्दी-कुंकुम-महावर,
हवा के मेहँदी लगे पाँवों में उलझती … 
सुनहरी पाजेब की रुनझुन,
आँचल में लहराते-सिमटते चाँद-सितारे,
सुर्ख़ डोरों से बोझिल … 
क्षितिज पर झुकती बादलों की पलकें,
फूलों से टँकी रंग-बिरंगी चूनर की ओट में … 
लजाते हुए धरा के सिन्दूरी गाल ....

~प्यार कब नहीं होता फ़ज़ाओं में ?
काश! हम इंसान बिना शर्तों के प्यार कर पाते...~