मेरा कान्हा, मेरा केशू...
मैया का दुलारा, इस जग का सहारा !
भाए मुझे तेरा रूप सलोना,
नटखट गोपाला.. तू ही खेवनहारा..!
तेरे हाथों की बंसी.. जीवन नैया मेरी,
तेरी बंसी की धुन.. पतवार मेरी !
हर सुख मेरा.. वरदान है तेरा,
हर दुख में छिपी.. कोई लीला तेरी !
मैं ठहरी नादान.. इस जग से अंजान..!
चलूं छाया में तेरी.. लेकर तेरा ही एक नाम !
तेरी प्यारी सी छवि.. आँखों में सजाए..,
दिल में आस्था का.. अखंड दीपक जलाए,
कर्म डगर पर चली जा रही हूँ...
मुक्ति की अमिट आस दिल बसाए ...!
तुझपे वारी मैं जाऊँ...लूँ तेरी बलैइयाँ.....!!!
बहुत सुन्दर प्यारी रचना...
ReplyDelete:-)
भक्तिमयी रचना !
ReplyDeleteजन्माष्टमी की शुभकामनाएँ !
कान्हा सदा अपना सा ही लगता है.... मनमोहक रचना , जन्माष्टमी की शुभकामनायें ....
ReplyDeletebahot acche...जन्माष्टमी की
ReplyDeleteशुभकामनायें .... www.bassar.tk
bahut hi sundar .......aapki rachna aur keshu dono hi ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कृष्णपगी रचना
ReplyDeleteसुन्दर सार्थक सामयिक प्रस्तुति
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत भक्ति भाव पूर्ण सुन्दर रचना
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
बूँद बूँद लम्हे में प्रकाशित आपकी रचानों का आनद लिया खुबसूरत ही नहीं बेहतरीन भावों से सजी आपकी रचना धर्मिता के लिए प्रणाम
ReplyDeleteरमाकांत सिंह जी....आपने हमारे ब्लॉग को अपना क़ीमती वक़्त दिया और इसे सराहा...इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद! यूँ ही हौसला बढ़ाते रहिएगा...यही उम्मीद करती हूँ
Deleteतेरी प्यारी सी छवि.. आँखों में सजाए..,
ReplyDeleteदिल में आस्था का.. अखंड दीपक जलाए,
कर्म डगर पर चली जा रही हूँ...
मुक्ति की अमिट आस दिल बसाए ...!
सुन्दर भावों से सजी ... मोहम कृष्ण की मोहकता बखान करती मोहक रचना ... जन्माष्टमी की बधाई ..
आप सभी को... अपना कीमती वक़्त देने और इस रचना को पसंद करने का तहे दिल से धन्यवाद! :-)
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