मन में खिले
जब नेह के फूल
सुरभि बहे
रेशमी पगडंडी
भाई औ बहन के
दिलों के बीच !
पा निःस्वार्थ फुहार,
आस्था विश्वास,
अपार उत्साह के
मीठे बोलों से
महके गुलशन !
रिश्ता अनूठा
ये भाई-बहन का
सबसे प्यारा
है कितना पावन !
ना दरकार,
'नाम' के बंधन की
लहू-निशाँ की,
ना ही सरहद की!
दिलों से बहे,
है दिलों पे निसार
रस की धार
ये प्रेम अनुभूति
है अनमोल !
दो दिलों का बंधन
"रक्षा-बंधन"
नहीं है मोहताज
किसी भी दिन,
किसी अवसर का,
इसको बाँधे
निःस्वार्थ आलौकिक
पावन दिल-डोर !
"रक्षा-बंधन"
ReplyDeleteनहीं है मोहताज
किसी भी दिन,
किसी अवसर का,
इसको बाँधे
निःस्वार्थ आलौकिक
पावन दिल-डोर !.............................
बहुत ही खूबसूरत लेखन एवं प्रस्तुति
“ तेरा एहसान हैं बाबा !{Attitude of Gratitude}"
भाई बहन के पावन प्रेम के प्रतीक रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ.!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज बुधवार (21-08-2013) को हारे भारत दाँव, सदन हत्थे से उखड़े- चर्चा मंच 1344... में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार सर.....
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर .... भाई बहन का नाता ही कुछ ऐसा होता है ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और भाव मय शब्द दिये हैं आपने, हार्दिक शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
भावमय ... ये पावन रिश्ता सदा खिलता रहे ... भई नाहन का प्रेम बना रहे ...
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें इस पर्व की ...
bahut vadiya............bhai-bahan ka rishta hi esa hai...........
ReplyDeleteये प्रेम अनुभूति
ReplyDeleteहै अनमोल !
दो दिलों का बंधन
"रक्षा-बंधन"
नहीं है मोहताज
किसी भी दिन,
सच कहा ******
बेहतरीन अभिव्यक्ति
नत मस्तक हूँ ...बहन के स्नेह के आगे ...इन मीठी भावनाओ के आगे .....
ReplyDeleteखुश रहो !
सुन्दर , भाई बहन के रिश्ते की खुशबू लिए हुए
ReplyDeleteसुन्दर भावाभि -व्यक्ति।
ReplyDeleteस्नेहमयी भावनाओं के पुष्पों को आपने बहुत सुंदर ढंग से पिरोया है राखी के रूप में...हार्दिक बधाई;-))
ReplyDeleteसादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
sneh ki sundartam abhiwayakti ....
ReplyDeleteआप सभी के स्नेह, सराहना तथा प्रोत्साहन का बहुत-बहुत आभार... :)
ReplyDelete~सादर!!!
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteये प्रेम अनुभूति
ReplyDeleteहै अनमोल !
दो दिलों का बंधन
"रक्षा-बंधन"
नहीं है मोहताज
किसी भी दिन,
किसी अवसर का,
इसको बाँधे
निःस्वार्थ आलौकिक
पावन दिल-डोर !
शब्दों का संगम अनुपम भावनाओं को संयोजन
भाई -बहन का सम्बन्ध परम पावन है । इसको निभाना और ईश्वर की आराधना करना समान है। अनिता जी आपने इस कविता में अपने हृदय का अमृत मिला दिया कि हर पंक्ति वेद ॠचा की तरह पावन हो उठी। हार्दिक बधाई और स्नेह !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,दिव्य भावनाओं से परिपूर्ण रचना ....बहुत बधाई आपको !
ReplyDeleteBahot acchi kavita anudi.. Bhai bhahan ke sambandho ko aapne sundar shabdo me piroya hai... Meri kavitae padhe http://patelbassar.blogspot.com par.
ReplyDeleteThank you. :-)
Bahot acchi kavita anudi.. Bhai bhahan ke sambandho ko aapne sundar shabdo me piroya hai... Meri kavitae padhe http://patelbassar.blogspot.com par.
ReplyDeleteThank you. :-)
बहुत सुंदर बंदिश / वाह --------
ReplyDeleteपर अंत में 2 लाइन 7-7 की चाहिए न चोके के लिए :)
आपके लिए मेरे ब्लॉग पर --------
100 % खेल
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकाफी सुंदर चित्रण ..... !!!
ReplyDeleteकभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारे.....!!!
खामोशियाँ
सराहना तथा प्रोत्साहन का के लिए आप सभी का दिल से धन्यवाद व आभार! :-)
ReplyDelete~सादर