साहिल की खामोशी देखी, लहरों की बेचैनी देखी,
पुरसुक़ून सागर के दिल में... मैनें गहरी बेक़रारी देखी !
बेताब मचलती लहरें आकर ,पाँवों से मेरे लिपट-लिपट कर ....
तर-ब-तर मुझको कर जातीं....बेकल, बेबस दिखा के मंज़र...!
मेरे तन्हा दिल में भी.. उदासी के समंदर जगते,
जज़्बातों के रेले उठते.. एहसासों के मेले लगते...!
मुझे सराबोर कर जातीं... अश्कों की मौजें तूफ़ानी...,
गम के प्याले छलक ही जाते... बहती... आँखों से कहानी..!
देख मेरी हसरतों का पानी.... रेत पे लिख तहरीरें अपनी...,
लहरें वापस लौट ही जातीं... अपने वजूद की छोड़ निशानी...!
बेबस अरमानों के ढेर में.... टूटे ख्वाबों के रेतमहल में...,
पी क़तरा क़तरा..ख्वाहिशें मैनें...हुईं जज़्ब वही मेरी रूह में..!!!
bahut khub anita ji badhai
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''यादें याद आती हैं.....''
वाह...बहुत खूब...पत्रिका में छपने की बधाई !!
ReplyDeletehardik badhayee, bahut sundar rachna
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता |आभार अनीता जी |
ReplyDeletebadhai
ReplyDeleteसुंदर पंक्तियाँ बधाई
ReplyDeletecongrats anita ji .
ReplyDeleteबधाई खुबसूरत और जहीन नज़्म के प्रकाशन के लिए
ReplyDeleteलाजवाब रचना ओर बधाई इस प्रकाशन पे ...
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ReplyDeleteदेख मेरी हसरतों का पानी.... रेत पे लिख तहरीरें अपनी...,
लहरें वापस लौट ही जातीं... अपने वजूद की छोड़ निशानी...!अपना अंदाज़ लिए है रचना ,हिदी के प्रसार और आपकी रचना के प्रकाशन से दिल खुश हुआ .मुबारक बहन .
शानदार, भावुक और सटीक शब्दों से सजी कविता | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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वाह नीतू ...इस उपलब्धि के लिए बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteआप सभी के स्नेह भरे प्रोत्साहन का हार्दिक धन्यवाद व आभार!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
पुनश्चय :मुबारकबाद और शुक्रिया आपकी निरंतर टिप्पणियों का .
ReplyDeleteसुनी रात में सुदूर बजती और अपने सुर से विक्षिप्त कर देने की समर्थता रखनेवाली झीनी सितारी जैसी असरदार. धन्यवाद.
ReplyDeleteलहरों पर चढ़ती-उतरती सागर की बेचैनी ...मन को छू जाने वाली रचना .....
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें
http://shikhagupta83.blogspot.in/
बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें!
ReplyDeleteलहरें वापस लौट ही जातीं... अपने वजूद की छोड़ निशानी...!
कहने को बस रह जाती ..भूली-बिसरी एक कहानी...
खुबसूरत अहसास समेटे खुबसूरत रचना!
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeleteबेबस अरमानों के ढेर में.... टूटे ख्वाबों के रेतमहल में...,
ReplyDeleteपी क़तरा क़तरा..ख्वाहिशें मैनें...हुईं जज़्ब वही मेरी रूह में..!!!
बेहतरीन प्रस्तुति. बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें!
सुंदर नज़्म
ReplyDeletehardik badhai
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