ख़्वाबों को अख़बार न कर
ख़ुद से इतना प्यार न कर।
ये जीवन इक बाज़ी है
रिश्तों को हथियार न कर।
महँगी माना खुशियाँ हैं
अश्कों का व्यापार न कर।
फूल मिलें जब राहों में
काँटों को बेज़ार न कर ।
अरमानों की महफ़िल में
ग़म का तू इज़हार न कर ।
लेकर बातों के ख़ंजर
अपनों पर तू वार न कर।
साँस-किराया देता चल
कम-ज़्यादा तक़रार न कर।
ख़ुद से इतना प्यार न कर।
ये जीवन इक बाज़ी है
रिश्तों को हथियार न कर।
महँगी माना खुशियाँ हैं
अश्कों का व्यापार न कर।
फूल मिलें जब राहों में
काँटों को बेज़ार न कर ।
अरमानों की महफ़िल में
ग़म का तू इज़हार न कर ।
लेकर बातों के ख़ंजर
अपनों पर तू वार न कर।
साँस-किराया देता चल
कम-ज़्यादा तक़रार न कर।
बेहद सुन्दर व उम्दा गजल।
ReplyDeleteबेहतरी गज़ल एक एक शब्द अपनी कहानी कहता हुआ
ReplyDeleteआभार
यदि कंप्यूटर में सिर्फ बीप की आवाज आरही है। और कंप्यूटर नो डिस्प्ले है तो उसमे रैम, डिस्प्ले कार्ड, सिमोस आदि कुछ भी समस्या हो सकती है। उसके लिए आपको किस तरह की बीप आरही रही है। समझना होगा। Read more...............
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteफूल मिलें जब राहों में
ReplyDeleteकाँटों को बेज़ार न कर ।
बेहतरीन .....
बहुत उम्दा शेर ग़ज़ल के ... हकीकत के करीब ...
ReplyDeleteVery nice post.. & welcome to my new blog post
ReplyDeleteसच बयाँ करती उम्दा ग़ज़ल .....बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteसच बयाँ करती उम्दा ग़ज़ल .....बधाई स्वीकारें |
ReplyDeleteसुन्दर ग़ज़ल
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
ReplyDeleteशुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
एक -एक शब्द हृदयस्पर्शी !!
ReplyDeleteलाजबाब
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