Sunday, 19 April 2015

~**मेरी पहली ग़ज़ल~'ख़ुद से इतना प्यार न कर'**~

ख़्वाबों को अख़बार न कर
ख़ुद से इतना प्यार न कर।

ये जीवन इक बाज़ी है
रिश्तों को हथियार न कर।

महँगी माना खुशियाँ हैं
अश्कों का व्यापार न कर।

फूल मिलें जब राहों में
काँटों को बेज़ार न कर ।  

अरमानों की महफ़िल में
ग़म का तू इज़हार न कर ।

लेकर बातों के ख़ंजर
अपनों पर तू वार न कर।

 साँस-किराया देता चल
कम-ज़्यादा तक़रार न कर।

14 comments:

  1. बेहद सुन्दर व उम्दा गजल।

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  2. बेहतरी गज़ल एक एक शब्द अपनी कहानी कहता हुआ
    आभार

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  3. बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !

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  5. फूल मिलें जब राहों में
    काँटों को बेज़ार न कर ।
    बेहतरीन .....

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  6. बहुत उम्दा शेर ग़ज़ल के ... हकीकत के करीब ...

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  7. Very nice post.. & welcome to my new blog post

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  8. सच बयाँ करती उम्दा ग़ज़ल .....बधाई स्वीकारें |

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  9. सच बयाँ करती उम्दा ग़ज़ल .....बधाई स्वीकारें |

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  10. सुन्दर ग़ज़ल

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  11. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  12. एक -एक शब्द हृदयस्पर्शी !!

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