चाँद की हँसती आँखों में
चमका एक सितारा,
आ गिरा चाँदनी के आग़ोश में।
चाँदनी ने हौले से उठाया उसको,
चूमा और रख दिया-
एक नन्हे बादल के
रुई के फाहे जैसे पँखों पर।
तैरते-तैरते वो नन्हा बादल
आ पहुँचा फूलों की सुंदर बगिया में।
रंग-बिरंगे फूलों के बिस्तर पर
सुला दिया उस सितारे को।
जाग उठे सभी फूल,
तितलियों ने भी पंख पसारे,
लेकर अपने रंग
और अपनी-अपनी ख़ुश्बू,
उमड़ पड़े वो सारे ,
नहला गए उस नन्हे सितारे को-
आधा सोया-आधा जागा,
मुस्कुरा उठा!
खिल उठा वो सितारा!
खोलकर अपनी बाँहें
समा गया वो
मेरी आँखों में
बनकर सपना ।
और चहका मेरी गोद में-
मेरा लाल! मेरा कान्हा बनकर।
आकाश ने विस्तार दिया,
सूरज ने अपना तेज,
सागर ने दिया
गाम्भीर्य और गहराई
पर्वत ने पक्के इरादे
और ऊँचाई।
मेरा सपना-
मेरे जीवन का सच है बना।
मेरे बेटे! मेरे लाल!
मेरा दिल! मेरी जान!
तू मेरा मान-अभिमान!
तेरे जीवन की राहें बुलाएँ तुझे
कर्म-क्षेत्र तेरा , दे सदाएँ तुझे।
न मानना हार कठिनाइयों से
न डरना जीवन की चुनौतिनियों से।
न बनना किसी के दुःख का कारण
न दुखाना किसी मज़लूम का दिल।
तेरे साथ है मेरी दुआएँ सदा -
रखना ध्यान अपना कि-
तू है जीवन मेरा।
मेरे लाल!
तू है- मेरे कान्हा का प्रसाद !
stay blessed :))
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत दिल को छू गई
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ जो दिल को छु के गुज़र जाती हैं ...
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