Saturday 24 September 2016

**~प्यारी बेटियाँ ~**

जीवन में कुछ रिश्ते दिल के बहुत-बहुत क़रीब होते हैं -माँ, पिता, बेटा, बेटी और दोस्त ! विशेषकर 'बिटिया' तो दिल की धडकन की तरह हरपल साथ होती है !फिर उसके लिए किसी एक दिवस की कोई दरक़ार कहाँ !
ये कविता हर दिन, हर पल - सभी बेटियों को असीमित स्नेह एवं शुभकामनाओं सहित समर्पित ~

भोर सी सुहानी होती हैं बेटियाँ !
पाँव पड़ते ही जिनके
हो जाता है घर में उजाला,
सूरज की किरणों सी-
बिछ जाती हैं,
ढक लेती हैं,
हर अँधेरे कोने को
अपनी सुनहरी आभा से !

रिमझिम बूँदों सी होती हैं बेटियाँ !
मचलती, थिरकती, गुनगुनाती
भिगोती, मन लुभाती,
मिटा देती हैं थकन
और आँगन का सूनापन
अपनी चंचल किलकारियों
और अंतहीन
मख़मली बातों से !

मंदिर की घंटियों सी होती हैं बेटियाँ !
गूँजती रहती है जिनकी बातें
कानों में
और थपथपाती हैं
दिलों के द्वार,
लेकर मन में
चंदन की सुगंध,
कर देती हैं पावन
हर उस शय को
जो होती है उनके आसपास
अपने स्नेहिल स्पर्श से !

माँ की दुआओं सी होती हैं बेटियाँ
जो रहती हैं बन कर परछाईं
पिता और भाई के साथ !
बचाती हैं हर संकट से उन्हें,
संभालती हैं
हर मुश्किल घड़ी में ,
देकर मज़बूत सहारा
अपने विश्वास का,
थामती हैं, भरमाती हैं
अपनी मासूम संवेदनाओं से !

चोट पर मलहम सी होती हैं बेटियाँ
खींच लेती हैं
हर दर्द को ,
सहलाती हैं प्यार से,
धोती हैं अपने आँसुओं से
उस ज़ख़्म को,
जो दिखता नहीं किसी को
पर महसूस करती हैं वो
अपनी आत्मा की गहराई से !

शीतल चाँदनी सी होती हैं बेटियाँ !
देती हैं सुक़ून,
ग़म के घने बादलों को
हटाकर,
मिटाकर अँधेरी-स्याह रातों की
कालिमा,
उबारती हैं,
देती हैं हिम्मत
अपने मासूम आश्वासनों
और स्निग्ध,
निश्छल मुस्कानों से !

घर का उल्लास होती हैं बेटियाँ,
हर दिल की आस होती है बेटियाँ,
पूजा की ज्योत होती हैं बेटियाँ,
बरसता है ईश्वर का नूर सदा उस दर पर,
हँसती-खिलखिलाती हैं जिस घर में प्यारी बेटियाँ !!!

~अनिता ललित 

Thursday 22 September 2016

~**बचपन की गलियाँ (माहिया)**~

1
सपनों में आती हैं
बचपन की गलियाँ
यूँ पास बुलाती हैं।

2
चिटके सुख का प्याला
जैसे उम्र ढले
विष सी जीवन-हाला।

3
भाए ना जीवन को
दुनिया के मेले
ठेस लगे जब मन को।

4
पीड़ा मन की गहरी
आँखों से छलके
पलकों पर आ ठहरी।

5
सपन करे हैं बैना
बन के किर्च चुभें
सोना भूले नैना।

~अनिता ललित 

Wednesday 14 September 2016

~**दिल में बसी~हो जैसे ख़ुशी ! ~ प्यारी बिटिया को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएँ !**~

1
बिटिया हँसी
सितारों सी चमकी
आँखों में बसी।

2
नेह अपार 
मेरी गोद समाया
उसे जो पाया।

3
नन्ही -सी कली
मेरी आँखों में पली
महकी गली।

4
पापा की परी
है सबकी दुलारी
जग से न्यारी।

5
"माँ-माँ" कहती
पायल खनकाती
मन लुभाती।

6
हों जैसे मेघा
नेह से लबालब
'नेहा' के नेहा।

7
है मीलों दूर
पर दिल में बसी
वो- जैसे ख़ुशी !

8
उसकी दुआ 
ज्यों मन्नत के धागे 
घर को बाँधे !

9
घर-अँगना
बिटिया बिन सूना 
मन का कोना !

10
दिल की आस
वो घर का उजास 
सदा है पास ! 

~अनिता ललित

Monday 5 September 2016

~**गणेश-चतुर्थी' एवं शिक्षक-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ! **~ कुछ हाइकु

1
ॐ गणपति !
कष्ट-विघ्न हरना 
राह दिखाना !


माता प्रथम
संस्कारों की शिक्षिका
नमन उसे।


गुरु जो साथ
लगे ईश्वर-हाथ
दे आशीर्वाद।

4
गुरु सँवारे
शिष्य -मन-जीवन
माँजे, निखारे।


गुरु की शिक्षा
साए -सी संग चले
साथ निभाए।


गुरु की छवि
है सबसे अलग
मन में बसी।


बिना गुरु के
ये दुनिया जंगल
बुद्धि विहीन ।

8
सिखा जाता है
हर ज़ख्म सबक़
सँभलने का।

~अनिता ललित 

Friday 2 September 2016

~**कुछ हाइकु~ बूँदों की झड़ी**~

बूँदों की झड़ी 
पिरो लाती है संग 
यादों की लड़ी

बीते वो दिन–
जब भीगे थे संग
भीगा था मन।

ओ बूँदो! सुनो!
छेड़ो न वही धुन
होऊँ मगन।

यादों में ढूँढ़ूँ
टिप-टिप बूँदों का
सुरीला गीत।

वो बीते पल
सहेजे जो आँखों ने
बूँदों में ढले।

~अनिता ललित