प्यार.....
खिलती मुस्कान, आँसू की ज़ुबान भी है !
फूलों की ख़ुश्बू , काँटों का सामान भी है !
सूरज की तपिश, बारिश का वरदान भी है !
तन्हाई का साथी, भीड़ में बियाबान भी है !स्पर्श की मीठी सिहरन , तंज़ से लहुलुहान भी है !
पोखर में कमल, सागर में तूफ़ान भी है !
अमावस की रात, चाँदनी का अरमान भी है !
विरह की बदरी , पपीहे की तान भी है !
धड़कन की सरगम , जिस्म की जान भी है !
हर जवाब की बुनियाद, हर सवाल का एहतराम भी है !
प्यार.....
जीवन का आग़ाज़ , जीवन का अंजाम भी है...!!!
बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-02-2015) को "कुछ गीत अधूरे रहने दो..." (चर्चा अंक-1890) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर! प्यार नाम है देने का, और देकर खुश रहने का ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteग़र मिल जाये सच्चा प्यार ...तो उपर वाले का वरदान भी है ....
ReplyDeleteखुबसूरत दिल से निकले ..... खुबसूरत भाव |
शुभकामनायें|
ग़र मिल जाये सच्चा प्यार ...तो उपर वाले का वरदान भी है ....
ReplyDeleteखुबसूरत दिल से निकले ..... खुबसूरत भाव |
शुभकामनायें|
सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हृदय से धन्यवाद एवं आभार !
ReplyDelete~सादर
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर और उतने ही सुंदर भाव। अच्छी रचना प्रस्तुत करने के लिए बधाई।
ReplyDeleteखूबसूरत।
ReplyDelete