Wednesday, 16 May 2012

कैसी ये ज़िंदगी....




जलती बुझती.. यादों की... रातों जैसी...
जिंदगी....,
उड़ती गिरती... पर कटे परिंदे के... कुलाँचों जैसी...
जिंदगी....,
डूबती उतराती... चश्म-ए-नम में... तैरते ख्वाबों जैसी... 
जिंदगी...
थक गयी..., थम गयी.., दौड़ते दौड़ते.... 
तुम तक आते-आते.... 
मेरी...जिंदगी.......

1 comment:

  1. थक गयी..., थम गयी.., दौड़ते दौड़ते....
    तुम तक आते-आते....
    मेरी...जिंदगी.
    बहुत सुंदर अहसास कविता में.....बधाई !!!

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