Wednesday 13 February 2013

** ~ तुम्हारे-मेरे बीच... प्यार ... ~ **



तुम्हारे-मेरे बीच... प्यार  की...
क्या कोई भाषा... अवसर की आशा...

सुबह-सवेरे...चाय की चुस्की के संग...
चेहरे पर एक मुस्कान खिल जाना...!

दौड़ते-भागते पलों को थाम ....
नाश्ते संग दवा की याद दिलाना....!

छोटी-छोटी तक़रारों में उलझना..  
फिर एक जगह मिलकर सुलझ जाना...!

चिंता के गहरे कुएँ से निकाल...
आस किरन पर झूला झुलाना...!

दुख के भीगे-भीगे क्षणों में...
आँखों से मोती चुराना ...!

बिना किसी वजह को ढूँढे ...
अनमोल हँसी को खोज निकालना...! 

कोई वादा ना करके भी...
हर वादे को भरपूर निभाना....!

न कुछ कहना...न  कुछ सुनना...
खामोशी की नब्ज़ पकड़ना...!

दिल से दिल के बीच बना जो...
उस अनदेखे पुल को थामे रहना...!

बस ! यही... तुम्हारे-मेरे बीच प्यार की...
अमिट, अमोल, सरल परिभाषा .....!!!

24 comments:


  1. न कुछ कहना...न कुछ सुनना...
    खामोशी की नब्ज़ पकड़ना...!

    दिल से दिल के बीच बना जो...
    उस अनदेखे पुल को थामे रहना...!

    बस ! यही... तुम्हारे-मेरे बीच प्यार की...
    अमिट, अमोल, सरल परिभाषा .

    प्रेम को परिभाषित करती खुबसूरत रचना बधाई

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  2. आपने इस रचना में जीवन को परिभाषित कर दिया, बहुत ही सुंदर.

    रामराम.

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  3. उत्कृष्ट प्रस्तुति-
    आभार आदरेया |

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  4. अब इस परिभाषा के बाद बचा ही क्या ? :):) बहुत सुंदर रचना

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  5. यही तो सच्ची परिभाषा है....
    यही सच्चा प्रेम भी है.
    बहुत सुन्दर अनिता
    <3
    सस्नेह
    अनु

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  6. व्यापक सात्विक फलक की सुन्दर प्रस्तुति .

    दिल से दिल के बीच बना जो...
    उस अनदेखे पुल को थामे रहना...!

    बस ! यही... तुम्हारे-मेरे बीच प्यार की...
    अमिट, अमोल, सरल परिभाषा .....!!!

    मैंने मानव को पूजा है पाषाणों से प्यार नहीं है .......बहुत सुन्दर दाम्पत्य प्रेम में समर्पण और मुग्धा भाव की रचना .

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  7. अनीता जी नमस्ते |बहुत ही सुन्दर कविता आभार |

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  8. सराहना व प्रोत्साहन के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद व आभार ! :-)
    ~सादर!!!

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  9. प्यारी परिभाषा

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  10. हाँ यही प्यार है...
    बेहद खुबसूरत ..
    दिल की बात दिल तक...
    :-)

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  11. सादा जीवन उच्च विचार ...
    बहुत सुंदर रचना ....
    शुभकामनायें ...

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  12. परिभाषा में कहाँ बँध पाती है इतनी गहन अनुभूति !

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  13. बस प्रेम है तो इन सीधी सरल बातों ही है..... सुंदर पंक्तियाँ

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  14. मुबारक प्रेम दिवस ,अतीत के झरोखों से झांकता ,ताकता प्रेम .

    प्रेम दिवस पर समर्पण भाव की इस कविता को देखेके एक शैर याद आ गया -

    सब कुछ खुदा से मांग लिया तुमको मांगकर ,

    उठते नहीं हैं हाथ मेरे इस दुआ के बाद .शुक्रिया आपकी टिप्पणीका .आप दम्पति को प्रेम दिवस 365 दिन का हो .मुबारक .

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  15. बहुत सुंदर रचना
    क्या क हने

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  16. आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार ! :-)
    ~सादर!!!

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  17. तुमसे ही है अब रोजनामचा .बढ़िया रचना .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .

    तुम्हारे-मेरे बीच... प्यार की...
    क्या कोई भाषा... अवसर की आशा...

    सुबह-सवेरे...चाय की चुस्की के संग...
    चेहरे पर एक मुस्कान खिल जाना...!

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  18. pyaar ki sundar paribhasha..

    http://kahanikahani27.blogspot.in/

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  19. इतना कुछ है तो सबकुछ है ....:))

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  20. बहुत प्यारी सी परिभाषा प्यार की :)

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  21. वहा वहा क्या बात है बहुत खूब्रुसती से लम्हों को एक कविता का एक रचना का रूप दे दिया अपने

    क्या लिखा है आपने


    मेरी नई रचना

    प्रेमविरह

    एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ

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  22. सराहना व प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार!:-)
    ~सादर!!!

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  23. सच्चे प्रेम का सजीव चित्रण किया है आपने ।

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