प्यारी तितलियों, रंग बिरंगी तितलियों....
फूलों पर मंडराती हरदम,
तुम लगती बगिया में कितनी सुंदर...!:-)
पर आते ही पास स्कूल इम्तिहान ...
कर देती दिमाग़ का बेड़ा गर्क,
और पढ़ाई सारी...फुर्र-फुर्र....!
जब छोड़ के अपना दिलकश गुलशन...
अपनी सखियों संग झुंड बनाकर....
कर देतीं तुम... हमला हम सब पर..
फिरकी बनकर .... और फुदक-फुदक कर...
~बच्चे तो बच्चे...मम्मियों के भी पेटों के अंदर.....~ :(((
बेहतरीन
ReplyDeleteसादर
:-)
ReplyDeleteसच्ची......पढ़ कर ही सिरहन हो आयी.
प्यारी रचना अनीता.
अनु
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
ये तितलियाँ तो पागल कर देने के लिये काफी है.
ReplyDeleteसुंदर उद्भाव.
सच में !
ReplyDeleteकभी हमारी भी
उड़ा करती थी
तितलियाँ
परीक्षा जब
सर होती थी
अब बच्चों की
तितलियां
जब उड़ती हैं
उड़ ही जाती हैं
माँ बाप की भी
साथ में
उड़ जाती हैं
देखते देखते !
वाह ...
ReplyDeleteसच कहा है तितलियाँ बच्चों के साथ सभी को पागल कर देती हैं ...
bahut sundar..
ReplyDeleteआप सभी गुणीजनों का हार्दिक धन्यवाद व आभार !:-)
ReplyDeleteपारिवारिक व्यस्तताओं के कारण देर से उत्तर देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ !
~सादर !!!
अति उत्तम .
ReplyDelete:):) अब मैं तो इस दौर से निकाल चुकी हूँ ... पर सच्ची ऐसा ही होता था
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