Tuesday 8 January 2013

**~ कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ ~**



कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!

साँसों में चढ़ते एहसासों के रेले,
धुएँ से ठहरते हैं ख्वाबों के मेले...!

अल्फ़ाज़ खुद में लिपट से गये हैं,
सिहरते, लरज़ते...सिमट से गये हैं..!

कोई धुन सजाओ... मुझे गुनगुनाओ..,
चाहत की नर्म धूप...ज़रा तुम खिलाओ...!

नज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
मेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें...!

पिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !

कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!

31 comments:

  1. बहुत प्यारी गज़ल... हरेक शेर जैसे शबनम में भीगा हुआ गुलाब है!

    ReplyDelete
  2. सुन्दर गीत .....
    शब्दों का प्रभावी चयन |

    सादर

    ReplyDelete
  3. कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
    मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!

    वाह!! बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  4. नज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
    प्रभावी और भावपूर्ण प्रस्तुति.*****मेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें...!

    पिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
    तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !

    कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
    मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!

    ReplyDelete
  5. आप बहुत अच्छा लिखती हैं।
    आप की टिप्पणी मेरे ब्लॉग पर दिख रही है अब:)और मेरा जवाब भी

    ReplyDelete
  6. मन को भा गयी आपकी ये पोस्ट ...

    ReplyDelete
  7. कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
    मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!

    वाह!! बहुत सुंदर

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दरता से लिखी और पेश की गई शानदार रचना हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  9. मनहर बिम्ब विधान ,भाव और विचार की प्रेम में पूर्ण समर्पण मुग्धा -भाव की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है रचना में .,

    ReplyDelete
  10. wahhh...kya khoob likha hai apne ....
    Mai apne saanye me kho si gayi hu'n
    http://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post.html

    ReplyDelete
  11. कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
    मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!
    वाह ...बहुत खूब

    ReplyDelete
  12. कोहरे में लिपटी ग़ज़ल सी खड़ी हूँ,
    मैं अपने ही साये में खो सी गयी हूँ...!

    बहुत ही खूबसूरत, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  13. ठण्ड भी कैसे कैसे एहसास जगा देती है । बहुत खूबसूरत ।

    ReplyDelete
  14. नाज़ुक , ख़ूबसूरत श़ेर , मोती से गुँथे , वाह !!!

    ReplyDelete
  15. मेरी इस रचना को पसंद करने का आप सबका तहे दिल से धन्यवाद व आभार ! :-)
    ~सादर!!!

    ReplyDelete

  16. पिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
    तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !

    खूबसूरत एहसासों से भरी रचना .... सुंदर

    ReplyDelete
  17. प्रेम में विरह भाव ,अवदान की सशक्त अभिव्यक्ति .

    ReplyDelete
  18. एक गज़ल की आत्मकथा!! एहसासों की उर्जा!!

    ReplyDelete
  19. कोई धुन सजाओ... मुझे गुनगुनाओ..,
    चाहत की नर्म धूप...ज़रा तुम खिलाओ...!... ek khoobsurat ehsaas

    ReplyDelete
  20. खूबसूरत ख्यालात..खनकते शब्द..

    ReplyDelete
  21. स्वयं को स्थापित करती प्रभावी रचना !

    ReplyDelete
  22. नज़र में तुम्हारी मुस्कानें जो चमकें..,
    मेरी सर्द हस्ती को शबनम बना दें...!

    bahut sundar gajal hr sher lajbab ....abhar .

    ReplyDelete
  23. आपकी सद्य टिपण्णी हमारे सिरहाने की निकटतर राजदान हैं रहेंगी .आभार .

    ReplyDelete
  24. मेरी रचना को सराहने व प्रोत्साहन के लिए आप सभी गुणी जनों का तहे दिल से धन्यवाद व आभार! :-)
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  25. milejule jazbaato ki baaraat si hae apki ye rachna..behatreen.

    ReplyDelete
  26. पिघल कतरा कतरा ... हर लफ्ज़ से मैं बरसूँ,
    तुम फूल, मैं शबनम बन... तुमको निखारूँ !

    खूबसूरत एहसासों से भरी रचना .... सुंदर

    इस भाव को दर्शाती मेरी नयी पोस्ट
    Gift- Every Second of My life.

    ReplyDelete
  27. phir bhi jeevan me ashavan hona jaroori hai

    ReplyDelete
  28. आप सभी का मेरी रचना पसंद करने व प्रोत्साहन देने का हार्दिक धन्यवाद व आभार!
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  29. उम्दा अभिव्यक्ति
    हार्दिक शुभकामनायें ........

    ReplyDelete