Photo: Anita Lalit |
एहसासों की सूनी चौखट पर ...
अब कोई चाँद नहीं रुकता
दिल की इस बंजर ज़मीं पर...
अब कोई ख्वाब नहीं उगता..!
एक सन्नाटा गूँजता है...
वीरान हुई इन आँखों में...
बर्फ़ीली पगडंडी पर जैसे...
कोई खामोश कहानी ...
चहलक़दमी करती हो...!
एक सेहरा झुलसता है...
सूखे हुए इन होठों पर...
रौंद... पैरों के निशाँ जैसे....
खुद मंज़िल प्यासी...
बेमक़सद भटकती हो !
एक तूफान सा उठता है...
डूबे हुए इस वजूद में..
जज़्बातों की चीखें जैसे...
छटपटाती...
दम तोड़ती...घुटती हों ....!
एक चेहरा सिहरता है...
बेजान सी ज़िंदगी में...
सिर छुपाए घुटनों में जैसे...
साँसों की धड़कन...
सिसकती हो...!
वेदना की अनुपम प्रस्तुति ....
ReplyDeleteसुंदर रचना ।
बहुत सुंदर रचना....बधाई
ReplyDeleteकभी पधारिए हमारे ब्लॉग पर भी.....
नयी रचना
"फ़लक की एक्सरे प्लेट"
आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (23-12-13) को "प्राकृतिक उद्देश्य...खामोश गुजारिश" (चर्चा मंच : अंक - 1470) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार शास्त्री सर
Delete~सादर
साधू साधू......बहुत उम्दा लेखन...
ReplyDeleteआप सभी का दिल से आभार
ReplyDelete~सादर
हर एक शब्द में दर्द की इंतेहा. भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteहम्म...पढ़ा ! बस इतना समझ में आया .....कि
ReplyDeleteकभी-कभी मन
यूँ भी उदास होता है
सब कुछ होता है पास
पर कुछ न होने का
अहसास होता है....
शुभकामनायें ...खुश रहो !
बहुत सुन्दर रचना ! दर्द की अभिव्यक्तिनई पोस्ट चाँदनी रात
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
!
दर्द में डूबे अहसास ...भिगो गए.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता |
ReplyDeletebadiya
ReplyDeleteवेदना ही वेदना
ReplyDeleteछलक पड़े जज़्बात ।
Nice post..
ReplyDelete