"माँ वंदना,
माँ अर्चना,
माँ आरती,
माँ प्रार्थना !
माँ ही पूजा,
माँ ही ईश्वर !
दुनिया में हैं अनेकों मंदिर...
माँ धरती पर स्वर्ग-धाम !!"
"माँ" ... इस एक शब्द में पूरी दुनिया सिमट आती है !
हर भावना, हर रिश्ते, हर इंसान की बुनियाद है माँ !
माँ परछाईं बन सदैव बच्चों संग रहती !
धूप में उनकी आड़ बनती, तूफ़ानों में उनकी ढाल !
कोई भी मुसीबत हो..... माँ बच्चों की शक्ति बन जाती !
बच्चे मुस्काते... माँ खिलखिलाती,
बच्चे सुबकते... माँ सिसकती !
बच्चे बीमार होते... माँ उनके सिरहाने बैठे रात-दिन एक कर देती !
बच्चों के मुँह में निवाले जाते....माँ के तन-मन को तृप्ति मिलती !
अपनी पलकों से बच्चों की राह बुहारती...
माँ काँटे चुन-चुन कर फूल बिछाती...!
अपने जीवन के अनमोल पल...बच्चों पर न्योछावर करते करते...
उसे खबर भी न होती...वो उम्र के दूसरे पड़ाव पर पहुँच जाती !
वक़्त अपनी गति से बढ़ता जाता...
बच्चे ज़िंदगी में आगे बढ़ते जाते... माँ उसी जगह पर ठहरी रह जाती !
जब तक उसे अपनी सुध आती... उसकी दुनिया बदल चुकी होती !
वो आगे बढ़ने को क़दम उठाती...उसे सहारे की ज़रूरत महसूस होती..!
जिनके एक इशारे पर वो फिरकी की तरह नाचा करती थी...
वो अपने परिवार में व्यस्त होते... माँ उनकी आस देखती रहती !
दुनिया की अंधी दौड़ में... आगे बढ़ने की होड़ में...
बच्चे जब माँ की उंगली छोड़ते... अक्सर हाथ भी छोड़ बैठते !
'मेरी आँखों का तारा', 'मेरा राज-दुलारा', 'मेरे जीवन का सहारा'....
ये सारी लोरियाँ... माँ के आँसुओं में घुलने लगती !
उसके कान बस एक पुकार सुनने को तरसते... "माँ" !
माँ सिर्फ़ दो पल, दो मीठे बोलों का सहारा चाहती...
अपने जीवन के अनगिनत अनमोल पल वारने के बाद...
अगर उसे ये भी नहीं मिलता....
तो वो टूटने लगती, अंदर ही अंदर घुलने लगती...
सबके बीच में रहकर भी.....
वह अकेली...बहुत अकेली हो जाती...!
हाथ जोड़कर प्रार्थना है....भगवान से...
किसी माँ को कभी इतना अकेला मत करना...
वरना तुमपर से दुनिया का विश्वास उठ जाएगा....
क्योंकि धरती पर तुम्हारे रूप अगर कोई है..
तो वो है...सिर्फ़...
" माँ "
माँ ही पूजा,
ReplyDeleteमाँ ही ईश्वर !
दुनिया में हैं अनेकों मंदिर...
माँ धरती पर स्वर्ग-धाम !!" माँ नहीं तो कुछ भी नहीं
आभार सदा जी !
Deletedil ko chhu gayi kavita...
Deletemaa akeli hoker bhi akeli nahi hoti ... bachchon ki kunmunati raaton se vartmaan tak saath hota hai ... yaaden kisi ko akela nahi chhodti
ReplyDeleteआभार रश्मि जी !
Deleteकुछ लम्हों पर माँ की आँखों का, कानों का, बोली का,, स्पर्श का हक़ होता है...यादें वो भरपाई नहीं कर पातीं...
~सादर !
सुन्दर भाव
ReplyDeleteआभार वंदना जी !
Deleteमां से बढ़कर इस दुनिया में कोई नही है.
ReplyDeletethanks a lot...wonderful sharing anita jii.
ReplyDeleteसच लिखा है आपने..ईश्वर का सच्चा रूप धरती पर तो माँ ही है .
ReplyDeleteसादर,
निहार
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहतु सुंदर