Saturday, 3 November 2012

**~करवाचौथ की रात...लिए आँखों में मैं दो दो चाँद~**


आज' की 'रात'......
कुछ 'अलग' सा, प्यारा प्यारा है 'चाँद' !
'स्याह' आसमान में 'केसरिया' निकला है चाँद..!
फलक पे 'निहारा' करती मैं ... यूँ तो अक्सर रातों में चाँद... 
आज 'आईना' बन खड़ी मैं....लिए 'आँखों' में 'दो दो चाँद'..!

खनकती चूड़ियों  के बीच....
पूजा की थाली में...आज 'दिया' भी 'इतराये  है...
'माँग में लाल किरण'  और..'माथे' पे मेरे'....
देख 'उगता हुआ सिंदूरी चाँद'...!

'सात जन्मों' का ना जानूँ.., ना ही माँगूँ मैं कोई वरदान...,
इस जनम 'रहे सलामत' ..
'मेरा'...'बस मेरा' ही रहे......'मेरा चाँद'..!
जब 'छोड़ चलूँ' मैं ये 'जहाँ' ...
'अपने हाथों' से 'सजाना' 'मेरा सामान'..,
'ओढ़ा' कर 'लाल चुनरिया'.....
'ओ मेरे चाँद'.. 'तुम' ही 'भरना मेरी माँग'..!!!

20 comments:

  1. मुझे कविता बहुत अच्छी और बहुत प्यारी लगी |

    सादर

    ReplyDelete
  2. kavachauth ki hardik shubhkamaaya

    ReplyDelete
  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
    करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    ReplyDelete
  4. karvachauth ki hardik badhayee,bhaur sundar prastuti Anita ji

    ReplyDelete
  5. बहुत खूब...
    शुभकामनायें आपको !

    ReplyDelete
  6. यही प्रसन्नता जीवन रँगती रहे !

    ReplyDelete
  7. करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    लिए 'आँखों' में 'दो दो चाँद'..!
    'मेरा'...'बस मेरा' ही रहे......'मेरा चाँद'..!
    वाह ..
    जिस खूबसूरती से अपने इस कविता को संवारा है वो काबिले-तारीफ़ है। ये पोस्ट बहुत ही अच्छी लगी



    आपके ब्लॉग पर आकर काफी अच्छा लगा।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत हैं।अगर आपको अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़ें।धन्यवाद !!

    http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post.html

    ReplyDelete
  8. स्नेहभरी कविता .शुभकामनायें आपको

    ReplyDelete
  9. BEHAD KHOOBSHOORAT RACHNA, BADHAYEE Aankho ke chand jb se dil me utar gya jindgi me khushion ke sare rang bhar gya

    ReplyDelete
  10. जित देखो तित फैली चांदनी

    ReplyDelete
  11. बहुत खूबसूरती से मन के भावों को कहा है ....
    आज 'आईना' बन खड़ी मैं....लिए 'आँखों' में 'दो दो चाँद'..!
    बहुत सुंदर ...

    ReplyDelete
  12. 'सात जन्मों' का ना जानूँ.., ना ही माँगूँ मैं कोई वरदान...,
    इस जनम 'रहे सलामत' ..
    'मेरा'...'बस मेरा' ही रहे......'मेरा चाँद'..!
    बहुत ही खूबसूरत अहसास
    ..

    ReplyDelete
  13. बहुत प्‍यारी रचना ..

    ReplyDelete
  14. "इस जनम 'रहे सलामत' ..
    'मेरा'...'बस मेरा' ही रहे......'मेरा चाँद'..!"

    बहुत सुंदर भाव और पंक्‍तियां और दिल कह रहा है आमीन !

    ReplyDelete
  15. आप सभी गुणीजनों का तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद व आभार ! :)
    आप सभी की हौसला-अफज़ाई बहुत मायने रखती है !
    ~सादर !!!

    ReplyDelete
  16. शास्त्री सर, शुभकामनाओं व हौसला अफज़ाई के लिए हार्दिक धन्यवाद !:)
    ~सादर !

    ReplyDelete
  17. बहुत प्यारी कविता ! आत्मिक सम्बन्धों की गहनता का सहज चित्रण मनमोहक है । रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

    ReplyDelete
  18. अति सुन्दर अनीता जी।।अला शेयरिंग

    ReplyDelete