Monday 5 November 2012

**~ काँच.... और भरोसा...~**


काँच और भरोसा...
दोनों ही टूटते हैं अक्सर...

काँच टूटता है...
आवाज़ होती है,
दर्द का एहसास होता है...
चोट में चुभन होती है...
ज़ख़्म से खून बहता है ...
आँखों में आँसू आ जाते हैं ...

भरोसा टूटता है...
आवाज़ नहीं होती,
दिल बुत बन जाता है...
सदमे से सुन्न हो जाता है...
पत्थर के ज़ख़्म दिखाई नहीं देते ...
और सदमे के.... आँसू नहीं होते.....

41 comments:


  1. काँच और भरोसा...
    दोनों ही टूटते हैं अक्सर...
    बहुत खूब कहा ... आपने

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर
    अच्छी रचना
    क्या बात

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया महेन्द्र श्रीवास्तव जी...
      सादर !

      Delete
  3. आवाज़ ना हो तो कोई समझता नहीं,और दर्द और गहराता है ...

    ReplyDelete
  4. gahan anubhutio se bhari rachana, भरोसा टूटता है...
    आवाज़ नहीं होती,
    दिल बुत बन जाता है...
    सदमे से सुन्न हो जाता है...
    पत्थर के ज़ख़्म दिखाई नहीं देते ...
    और सदमे के.... आँसू नहीं होते......

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर अनिता.....

    एक फर्क और मैंने पाया कि काँच अकसर अनचाहे यूँ ही टूट जाया करते हैं...और भरोसा तोड़ा जाता है,जानते समझते ...नहीं????

    सस्नेह
    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाँ अनु ! ज़्यादातर !
      मगर कभी-कभी... काँच गुस्से में भी तोड़ दिया जाता है... और भरोसा... 'नासमझी' से..~ ये भी एक अजीब सी बात है... :(
      रचना पसंद करने के शुक्रिया !:)

      Delete
  6. बहुत खूब कहा है आपने...
    बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी रचना...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद व आभार...Reena Maurya ji!
      ~सादर !

      Delete
  7. पत्थर के ज़ख़्म दिखाई नहीं देते ...
    और सदमे के.... आँसू नहीं होते.....

    ....बहुत खूब! बहुत सुन्दर रचना...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद व आभार !:)
      ~सादर !

      Delete
  8. क्या कहूँ , इतनी सहजता से आपने अपनी बात कही है , बहुत अच्छा लगा पढ़कर |

    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. इतना समझ लिया...हमारे लिए बहुत है आकाश !
      शुक्रिया !:)
      ~God Bless !

      Delete
  9. .बेहद उम्दा और सटीक गजब की प्रस्तुती है
    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत हैं ...
    http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

    ReplyDelete
  10. काँच और भरोसा का आपने अद्भुत साम्य प्रस्तुत किया है । भरोसा टूटने पर जो पीड़ा होती है , वह सर्वाधिक होती है । इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए मेरी शुभकामनाएँ ! -रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

    ReplyDelete
    Replies
    1. कम्बोज भाई साहब, आपके स्नेहभरे प्रोत्साहन का हृदय से आभार... :)
      ~सादर !

      Delete
  11. काँच और भरोसा टूटने का सटीक विश्लेषण ..... भरोसा टूटता है तो सच ही दिल बूट हो जाता है और सुन्न हो जाता है , चारों ओर मौन प्रिय लगता है लेकिन यह फी कितना अजीब होता है न कि भरोसा तोड़ने वाला ही शोर मचाता है ...

    मन को छू गयी आपकी रचना ।

    ReplyDelete
  12. बस एक अंतर है , काँच बाहर से टूटता है और भरोसा भीतर से |

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया व आभार अमित जी !:)
      वैसे....भरोसा भीतर से ही उपजता है....
      ~सादर !

      Delete
  13. Replies
    1. बहुत आभार आपका...संगीता जी..!:)
      ~सादर !

      Delete
  14. कांच तो बाहर था ही,भरोसा भी किया तो बाहर ही। टूटना ही था।

    ReplyDelete
    Replies
    1. भरोसा हमेशा अंदर से आता है...जो बाहरी हो...वो भरोसा नहीं...दिखावा है...!
      आभार आपका..!:)
      ~सादर !

      Delete
  15. शीशा हो या दिल हो आखिर टूट जाता है ...
    मर्मस्पर्शी रचना लिखी है आपने.

    ReplyDelete
  16. बहुत ही सुन्दर कविता |आभार अनीता जी |

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद...जयकृष्ण राय तुषार जी !:)
      ~सादर ! !

      Delete
  17. अनीता जी,
    "पत्थर के जख्म दिखाई नहीं देते,
    सदमे के आंसू नहीं होते"
    सुन्दर पंक्तिया है,काँच और भरोसा...क्या दोनों की नियति है टूटना ?
    शुभकामनाये

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद युगल जी !
      नियति तो इंसान को भी नहीं बख्शती...इसलिए उस बारे में क्या कहें...
      हाँ! ये ज़रूर कह सकते हैं कि....दोनों ही बहुत नाज़ुक होते हैं... उन्हें बहुत संभाल कर सहेजकर जतन से रखना पड़ता है....
      ~सादर

      Delete
  18. बहुत बढ़िया विचार..बहुत बढ़िया शब्दों में..आला शेयरिंग हा अनीता जी.खुश रहिये

    ReplyDelete
  19. Sundar prastuti, deepavli kia hardik shubhkamna

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया !:)
      आपको व आपके परिवार को भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !
      सादर

      Delete