रात का सुनसान सन्नाटा...
जब हर आवाज़, हर हलचल...
सो गयी ...खामोशी से......!
अचानक सुनाई पड़ी तभी..
एक आवाज़...
टप...टप...टप...
सन्नाटे को चीरती हुई !
शायद किसी नल के टपकने की....!
दिन भर के शोर में जिसका पता ही न चला.....
मगर... रात में उस एक आवाज़ के सिवा....
और कुछ भी... सुनाई न दिया...!
अंदाज़ा लगाया ...उस आवाज़ से उसकी ताक़त का...
ऐसा लगा , जैसे धरती को ही छेद कर रख देगी....!
महसूस होता है ऐसा ही कुछ ...
जब छाता है...मेरे अंतस में.....
गहन अंधेरा...घोर सन्नाटा ...
और हो जाते हैं...
सारे एहसास, सारे जज़्बात गूँगे...
सुनाई पड़ती है तब......
कुछ ऐसी ही आवाज़........
चीरती हुई मेरे वजूद को....
टपकती हैं जब......मेरे दिल में...
'एकाकीपन' की बूँदें.......
टप...टप...टप........
वाह...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
शास्त्री सर, प्रोत्साहन देने का बहुत बहुत आभार !:)
Deletereally the sound of lolniness stir in the moor
ReplyDeleteThank you so much.... धीरेन्द्र अस्थाना जी !:)
Deleteक्या कहने
ReplyDeleteबहुत सुंदर
धन्यवाद... महेन्द्र श्रीवास्तव जी !:)
DeleteKhamosh anshuon ke zazbzto ki behataree prastuti
ReplyDeleteशुक्रिया..... Aziz Jaunpuri ji !:)
Deleteमहसूस होता है ऐसा ही कुछ ...
ReplyDeleteजब छाता है...मेरे अंतस में.....
गहन अंधेरा...घोर सन्नाटा ...
और हो जाते हैं...
सारे एहसास, सारे जज़्बात गूँगे...
सुनाई पड़ती है तब......
कुछ ऐसी ही आवाज़........
चीरती हुई मेरे वजूद को....
टपकती हैं जब......मेरे दिल में...
'एकाकीपन' की बूँदें.......
टप...टप...टप........, एक एक एहसास मन के करीब की अनुभूतियों को छू गए
बहुत बहुत धन्यवाद...रश्मि जी ! :)
Delete
ReplyDeleteऔर ये एक बूँद लहुलुहान कर जाती है पूरे वजूद को.......
बहुत सुन्दर.....
सस्नेह
अनु
शुक्रिया......अनु !:)
Deleteअनिता जी आपकी यह कविता मर्म के प्रत्येक रेशे को तरबतर कर देती है । ये पंक्तियाँ तो भावों की भीनी खुशबू से ओतप्रोत हैं -महसूस होता है ऐसा ही कुछ ...
ReplyDeleteजब छाता है...मेरे अंतस में.....
गहन अंधेरा...घोर सन्नाटा ...
और हो जाते हैं...
सारे एहसास, सारे जज़्बात गूँगे...
सुनाई पड़ती है तब......
कुछ ऐसी ही आवाज़........
चीरती हुई मेरे वजूद को....
टपकती हैं जब......मेरे दिल में...
'एकाकीपन' की बूँदें.......
टप...टप...टप........
तहे दिल से आपका धन्यवाद व आभार !:)
Deleteसादर !
gahan abhivyakti......
ReplyDeleteRegards.
-aakash
शुक्रिया... आकाश !:)
Deletegahan abhivyakti......
ReplyDeleteRegards.
-aakash
खूबसूरत और संवेदनशील रचना जो एकाकीपन के अहसास को बढ़ाती है और झकझोरती है ..
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया.... Vandana KL Grover ji !:)
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया.... यशवंत !:)
Deleteचीरती हुई मेरे वजूद को....
ReplyDeleteटपकती हैं जब......मेरे दिल में...
'एकाकीपन' की बूँदें.......
टप...टप...टप........
उम्दा प्रस्तुती।
आपके इन शब्दों का तो कोई तोड़ नही है जी।
कभी मेरे ब्लॉग पर भी आईये
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post_17.html
संवेदनशील एक ख़ूबसूरत रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद... चन्द्र भूषण गाफिल जी ! :)
Delete~सादर !!!
http://vyakhyaa.blogspot.in/2012/10/blog-post_18.html
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद... रश्मि जी ! :)
Delete~सादर !!!
kya baat ha..badhiya jii.
ReplyDeleteटपकती हैं जब......मेरे दिल में...
ReplyDelete'एकाकीपन' की बूँदें.......
टप...टप...टप........
पढ़ कर ऐसा लगा कि जैसे मेरे मन के भाव आपकी कलाम से निकले हैं .... बहुत सुंदर