Saturday, 12 May 2012

जज़्ब...मेरी रूह में...




तर-ब-तर हूँ....गम-ए-ज़िंदगी में,
सराबोर......बेबस अरमानों के समंदर में...!
कपड़ा नहीं कि निचोड़ लो, न ही प्याला..कि खंगाल लो...
भीगी हुई रेत हूँ.... एहसासों की तूफ़ानी लहर में !
क़तरा क़तरा मौत ... की अता... जो तेरे वजूद ने...
किया जज़्ब उसे ....मेरी रूह ने.....!

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