किस क़दर सूना हो जाता होगा
उस चिड़िया का आशियाना …
उड़ जाते होंगे जब
उसके नन्हें-नन्हें बच्चे ,
अपने छोटे-छोटे पंख पसारकर ,
किसी नई दुनिया की ओर,
अपनी नई पहचान बनाने।
शायद तभी …
बुनती है वह, एक बार फिर,
एक नया नीड़ !
और नहीं लौटती
उस घर में अपने …
कि गूँजती रहती हैं उसमें,
यादों की मासूम किलकारियाँ …
रीता हो जाने के बाद … और भी ज़्यादा …
बेपनाह, बेहिसाब …
दिल को चीरती हुई।
और चलता रहता है ...
यही क्रम सिलसिलेवार।
बनना, बिगड़ना, टूटना, फिर बनना …
कि थकती नहीं वह !
टूटती नहीं वह !
सहते-सहते यह दर्द !
काश! सीख पाते हम इंसाँ भी !
इस दर्द के इक क़तरे को भी,
दिल में उतारने का हुनर ।
सहते-सहते पीने,...
पीते-पीते गुनगुनाने का फ़न !
उस चिड़िया का आशियाना …
उड़ जाते होंगे जब
उसके नन्हें-नन्हें बच्चे ,
अपने छोटे-छोटे पंख पसारकर ,
किसी नई दुनिया की ओर,
अपनी नई पहचान बनाने।
शायद तभी …
बुनती है वह, एक बार फिर,
एक नया नीड़ !
और नहीं लौटती
उस घर में अपने …
कि गूँजती रहती हैं उसमें,
यादों की मासूम किलकारियाँ …
रीता हो जाने के बाद … और भी ज़्यादा …
बेपनाह, बेहिसाब …
दिल को चीरती हुई।
और चलता रहता है ...
यही क्रम सिलसिलेवार।
बनना, बिगड़ना, टूटना, फिर बनना …
कि थकती नहीं वह !
टूटती नहीं वह !
सहते-सहते यह दर्द !
काश! सीख पाते हम इंसाँ भी !
इस दर्द के इक क़तरे को भी,
दिल में उतारने का हुनर ।
सहते-सहते पीने,...
पीते-पीते गुनगुनाने का फ़न !
बेहतरीन रचना , 100वीं पोस्ट की बधाई । सतत लेखन की शुभकामनायें
ReplyDeleteदिल को छूती बहुत भावपूर्ण रचना...शुभकामनाएं
ReplyDeleteजय माँ अम्बे।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-10-2015) को "देवी पूजा की शुरुआत" (चर्चा अंक - 2132) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, कॉल ड्राप पर मिलेगा हर्जाना - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteहर बार नया घरौंदा नयी दुनिया
ReplyDeleteकोई गम नहीं किसी का
सीख देते हैं हमें बहुत कुछ पशु पंछी
बहुत बढ़िया
चिड़िया के 'सूना आशियाना' के माध्यम से अनिता ललित ने जीवन का फ़लसफ़ा ही पेश कर दिया ।कविता का एक -एक शब्द अन्तर्मन में प्रतिध्वनित होता है। भाषा की सरसता तो आपकी विशेषता है । आज 100 वीं पोस्ट के लिए बहुत सारी बधाई । आशा करता हूँ कि बहिन के ये कविताएँ शीघ्र ही मुद्रित रूप में भी पाठकों तक जाएँगी। हार्दिक शुभकामनाओं के साथ -रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअप्रतिम रचना
ReplyDeleteयही नियति का चक्र है. जब उड़ना आ जाता है तो वो नया आशियाना बना लेता है और रह जाती है भूली बिसरी यादें.
ReplyDeleteसौवीं पोस्ट पर बधाइयाँ.
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