Sunday 21 June 2015

~** पिता... हार्डबाउंड कवर में... बंद जैसे इतिहास मिले ! **~

अपने माथे पर जो
धूप, ठण्ड , बरसात....
सबकी मार लिखे.… !
सहे ख़ामोशी से सब.....
मगर, कभी न पीछे वो हटे !
पिता .... 
हार्डबाउंड कवर में.…
बंद जैसे इतिहास मिले !

ढलती साँझ में जैसे... 
एक दीया हो रौशन !
जिसके आने से, घर में
आ जाए रौनक …!
ख़ामोश दीवारें फुसफुसाएँ ,
कोना-कोना महके, बस जाए।
बिखरा घर हो जाए संयत….
हर चीज़ सही जगह पर आए  
पिता की रौबीली आवाज़....
जब घर की देहरी पर गूँजे !

चिलचिलाती धूप में
जैसे, सुक़ून की ठण्डी छाया...!
हर मुसीबत में सम्बल वो,
अव्यक्त प्रेम का समन्दर वो ,
हर मुश्किल का हल है वो !
पिता .... कवच है पूरे घर का.…
महफ़ूज़ जिसमें... उसकी औलाद रहे..!

बच्चे की आँखों में पलते सपनों को
एक विस्तृत आकाश दे ।
पिता... टूटते तारे में हो....
मुक़म्मल हर ख्वाहिश जैसे...!
दुनियादारी की... टेढ़ी-मेढ़ी राहों पर  .....
अनुशासन का पाठ पढ़ाए...!
पिता...उँगली थामे, चलना सिखाए ...
और ....दुनिया की पहचान लिखे !

है जन्मदाता, है पालनहार,
हर जीवन का है आधार !
रातों को जो जाग-जागकर..
नींदें अपनी देता वार ,
वो पिता है ! उसका  जीवन...
है हर बच्चे पर उधार !
पिता ... मान, अभिमान है  ...
वो वरदान ,  सम्मान  है,
घर की शान,  माँ की मुस्कान  है,
पिता....धरती पर सृष्टि का आह्वान है।

कली से  फूल, फूल से फल.....
क्यों ... ये सफ़र कभी न याद रहे ?
हाथों से छूटे... जैसे ही हाथ.…
बस .... वक़्त औ उम्र मात मिले … !
इन उम्रदराज़ आँखों में अब  …
क्यों भीगे अपमान मिले ?
क्यों बेबसी बेहिसाब मिले ?
पिता की आँखों में कभी झाँककर तो देखो
इन आँखों में...
दफ़्न कई ख़्वाब मिले ....!!!



15 comments:

  1. Heart Touching and Pure Expression. Thanks a lot for such a nice composition...

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  2. बेहद प्रभावशाली अंतर्मन को छूती हुई

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-06-2015) को "पितृ-दिवस पर पिता को नमन" {चर्चा - 2014} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    अन्तर्राष्ट्रीय योगदिवस की के साथ-साथ पितृदिवस की भी हार्दिक शुभकामनाएँ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  4. बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति

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  5. खूबसूरत, भाव भीनी सी ...

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  6. bahut sundar ...marmsparshii bhaavaabhivyakti ..anita ji !

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  7. खूबसूरत अहसासों से सजी आपके दिल से निकली ये प्रस्तुती सराहनीय है
    आभार

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  8. कुछ न बोलते हुए भी बहुत कुछ कहते हुए पिता को समर्पित रचना ...
    भावपूर्ण ...

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  9. हाँ, ऐसा ही होता है पिता

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  10. बहुत प्यारी कविता ! संवेदना की गहराई और विषयवस्तु की ऊँचाई !
    विलम्ब से कविता पढ़ी !!

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  11. पिता से बढ़ कर जिन्दगी में कुछ नहीं होता । बहुत सुंदर

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  12. Very nice post ...
    Welcome to my blog on my new post.

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  13. आप सभी का हृदय से आभार !

    ~सादर
    अनिता ललित

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