ना वास्ता कोई
ना ही कोई बंधन
बीती बातों से ,
फिर भी ना जाने क्यूँ
जब चलती
ये बयार फाल्गुनी,
पूनम चाँद
खिले आसमान में,
महक उठे...
अतीत की गठरी,
बह उठती...
भूली यादों की हवा,
सोंधी सी खुशबू
वो पहली फुहार,
पहली होली
जो सपनों में खेली
वो एहसास
नहीं था अपना जो
ना ही पराया
दिल मानता उसे !
मासूम रिश्ता
मासूम नादानियाँ
लाल, गुलाबी
रंगों में सजी हुई
बिखेर जाती
मुस्कुराती उदासी,
रंगीन लम्हे
भर के पिचकारी
क्यूँ भिगो जाते
आँखों की सूखी क्यारी?
भूली कहानी
यादों में सराबोर
मचल जाती,
ले नमकीन स्वाद
हो के बेरंग,
ओस की बूँदें जैसे
खेलतीं होली ...
ले पहली होली की...
भीगी प्यारी फुहार...!
वाह पहली होली का पहला अहसास
ReplyDeleteप्रेम के रंग में रंगी सुंदर रचना
बधाई
होली तो प्रेम की होली है, बहुत सुंदर भाव व्यक्त हुये हैं इस रचना में, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
मुस्कुराती उदासी,
ReplyDeleteरंगीन लम्हे
भर के पिचकारी
क्यूँ भिगो जाते
आँखों की सूखी क्यारी?
...पहली होली के प्रेम पगे अहसासों की बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....
ReplyDelete'पहली होली
ReplyDeleteजो सपनों में खेली..'
यादों की गठरी में समाए कुछ एहसास सपने जैसे लगने लगते हैं-सुन्दर अनुभूति !
सुन्दर और प्यारी रचना !!
ReplyDeleteपहली होली का खूबसूरत चित्रण
ReplyDeleteसबसे पहले ...बेटियों से न हम पैर छुहाते हैं
ReplyDeleteन हम क्षमा मंगवाते है
देते हैं हम आशीर्वाद सिर्फ
उन्हें प्यार से गले लगाते हैं ....
अनीता जी ,मैंने तो सिर्फ अपने एहसास आप सबसे साँझा किये थे
और आपने मेरे लेख के जवाब में एक लेख लिख कर मेरे अहसासों
का पूरा जवाब दे दिया ,,ये मेरे लेख का अगला हिस्सा लगता है .....
मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ....बाकि सब कुछ आपके और मेरे लेख में हैं |
मेरे पास आपका इ-मेल नही हैं वरना मैं आपको सीधा ही लिखकर आपका
आभार मानता ...फिर भी अच्छा है ,,,,यहाँ आकर और अच्छा लगा |
खुश रहें स्वस्थ रहें !
आपका बहुत-बहुत आभार सर!:-)
Delete~सादर!!!
आपकी इस रचना में आपके नाज़ुक अहसास झलकते हैं ....
ReplyDeleteशुभकामनायें!
पहले होली वो भी सपनों की होली की यादें ...
ReplyDeleteअसल की होली सपनों जैसी हो तो बात ही क्या ...
लाजवाब एहसास ...
वो पहली फुहार,
ReplyDeleteपहली होली
जो सपनों में खेली
ReplyDeleteवो पहली फुहार,
पहली होली
जो सपनों में खेली
बची रहे जीवन फुहार ,जीवन रसधार ....
फागुन के दिन चार रे होली खेल मना रे ....
होली की अग्रिम वधाई के साथ-
ReplyDeleteरचना की मार्मिकता एवं प्रायोगिकता हेतु वधाई !!
वाह...पहली होली का मज़ा ही और है ....!!!
ReplyDeleteहोली की ढेरों शुभकामनायें !!
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ सुन्दर कविता ।
ReplyDeleteसराहना तथा प्रोत्साहन के लिए...आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद व आभार !!!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
बहुत ही नाज़ुक सी रचना ... कितने गहरे भाव ...
ReplyDeleteवाह !!!! अति सुन्दर !
ReplyDeleteत्योहारों से कैसे नाज़ुक से एहसास और कितनी मीठी यादें जुडी होती हैं....
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति अनिता....
सस्नेह
अनु
होली का तो मजा ही कुछ और है । हाँ ! पहली होली की यादें तो उसके बाद आने वाली हर होली पर सुनाई दोहराई जाती हैं । जिससे वह बातें हमेशा होली के मौके पर तरोताजा हो जाती हैं ।
ReplyDeleteso beautiful lines with emotions
ReplyDeleteसुन्दर यादों से भीगी ....बहुत सुन्दर रचना ...!!
ReplyDeleteबहुत प्यारा चोका. सुन्दर शब्द भाव, बधाई.
ReplyDeleteआप सभी गुणी जनों का हार्दिक आभार व धन्यवाद!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
भूली कहानी
ReplyDeleteयादों में सराबोर
मचल जाती,
ले नमकीन स्वाद
हो के बेरंग,
ओस की बूँदें जैसे
खेलतीं होली ...
बहुत ही प्यारी भावपूर्ण अभिव्यक्ति...बधाई और होली की शुभकामनाएँ!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteआभार अरुण जी.....
ReplyDeleteयादों में बसी होली .... बहुत सुंदर भाव ।
ReplyDeleteपहली होली का सुन्दर अभिव्यक्ति बहुत खूब ,आप मेरे ब्लोग्स का भी अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
ReplyDeletelatest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
:)
ReplyDeleteपहली होली की याद
ReplyDeleteनम आँखों में सज
भिगो जाती है जब-तब
मन के आंगन द्वार
...शुभ-कामनायें
बहुत अच्छी कविता लगी. प्यार से एहसास के साथ तो फागुन और खिल उठता है. होली की शुभकामनायें.
ReplyDeleteसराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
अच्छी ,भावपूर्ण कविता |
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