Monday, 18 March 2013

**~ पहली होली की पहली फुहार...~**



ना वास्ता कोई 
ना ही कोई बंधन 
बीती बातों से ,
फिर भी ना जाने क्यूँ 
जब चलती 
ये बयार फाल्गुनी,
पूनम चाँद 
खिले आसमान में, 
महक उठे...
अतीत की गठरी,
बह उठती...
भूली यादों की हवा, 
सोंधी सी खुशबू 
वो पहली फुहार,
पहली होली 
जो सपनों में खेली 
वो एहसास 
नहीं था अपना जो 
ना ही पराया 
दिल मानता उसे !
मासूम रिश्ता 
मासूम नादानियाँ 
लाल, गुलाबी 
रंगों में सजी हुई
बिखेर जाती 
मुस्कुराती उदासी,
रंगीन लम्हे 
भर के पिचकारी 
क्यूँ भिगो जाते  
आँखों की सूखी क्यारी?
भूली कहानी 
यादों में सराबोर 
मचल जाती,
ले नमकीन स्वाद
हो के बेरंग,
ओस की बूँदें जैसे
खेलतीं होली ...
ले पहली होली की...
भीगी प्यारी फुहार...!

35 comments:

  1. वाह पहली होली का पहला अहसास
    प्रेम के रंग में रंगी सुंदर रचना
    बधाई

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  2. होली तो प्रेम की होली है, बहुत सुंदर भाव व्यक्त हुये हैं इस रचना में, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. मुस्कुराती उदासी,
    रंगीन लम्हे
    भर के पिचकारी
    क्यूँ भिगो जाते
    आँखों की सूखी क्यारी?

    ...पहली होली के प्रेम पगे अहसासों की बहुत संवेदनशील अभिव्यक्ति..बहुत सुन्दर

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  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....

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  5. 'पहली होली
    जो सपनों में खेली..'
    यादों की गठरी में समाए कुछ एहसास सपने जैसे लगने लगते हैं-सुन्दर अनुभूति !

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  6. सुन्दर और प्यारी रचना !!

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  7. पहली होली का खूबसूरत चित्रण

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  8. सबसे पहले ...बेटियों से न हम पैर छुहाते हैं
    न हम क्षमा मंगवाते है
    देते हैं हम आशीर्वाद सिर्फ
    उन्हें प्यार से गले लगाते हैं ....
    अनीता जी ,मैंने तो सिर्फ अपने एहसास आप सबसे साँझा किये थे
    और आपने मेरे लेख के जवाब में एक लेख लिख कर मेरे अहसासों
    का पूरा जवाब दे दिया ,,ये मेरे लेख का अगला हिस्सा लगता है .....
    मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ....बाकि सब कुछ आपके और मेरे लेख में हैं |
    मेरे पास आपका इ-मेल नही हैं वरना मैं आपको सीधा ही लिखकर आपका
    आभार मानता ...फिर भी अच्छा है ,,,,यहाँ आकर और अच्छा लगा |
    खुश रहें स्वस्थ रहें !

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    1. आपका बहुत-बहुत आभार सर!:-)
      ~सादर!!!

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  9. आपकी इस रचना में आपके नाज़ुक अहसास झलकते हैं ....
    शुभकामनायें!

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  10. पहले होली वो भी सपनों की होली की यादें ...
    असल की होली सपनों जैसी हो तो बात ही क्या ...
    लाजवाब एहसास ...

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  11. वो पहली फुहार,
    पहली होली
    जो सपनों में खेली

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  12. वो पहली फुहार,
    पहली होली
    जो सपनों में खेली
    बची रहे जीवन फुहार ,जीवन रसधार ....

    फागुन के दिन चार रे होली खेल मना रे ....

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  13. होली की अग्रिम वधाई के साथ-
    रचना की मार्मिकता एवं प्रायोगिकता हेतु वधाई !!

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  14. वाह...पहली होली का मज़ा ही और है ....!!!

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  15. होली की ढेरों शुभकामनायें !!

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  16. होली की शुभकामनाएँ सुन्दर कविता ।

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  17. सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए...आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद व आभार !!!:-)
    ~सादर!!!

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  18. बहुत ही नाज़ुक सी रचना ... कितने गहरे भाव ...
    वाह !!!! अति सुन्दर !

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  19. त्योहारों से कैसे नाज़ुक से एहसास और कितनी मीठी यादें जुडी होती हैं....
    बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति अनिता....
    सस्नेह
    अनु

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  20. होली का तो मजा ही कुछ और है । हाँ ! पहली होली की यादें तो उसके बाद आने वाली हर होली पर सुनाई दोहराई जाती हैं । जिससे वह बातें हमेशा होली के मौके पर तरोताजा हो जाती हैं ।

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  21. so beautiful lines with emotions

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  22. सुन्दर यादों से भीगी ....बहुत सुन्दर रचना ...!!

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  23. बहुत प्यारा चोका. सुन्दर शब्द भाव, बधाई.

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  24. आप सभी गुणी जनों का हार्दिक आभार व धन्यवाद!:-)
    ~सादर!!!

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  25. भूली कहानी
    यादों में सराबोर
    मचल जाती,
    ले नमकीन स्वाद
    हो के बेरंग,
    ओस की बूँदें जैसे
    खेलतीं होली ...

    बहुत ही प्यारी भावपूर्ण अभिव्यक्ति...बधाई और होली की शुभकामनाएँ!

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  26. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ

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  27. यादों में बसी होली .... बहुत सुंदर भाव ।

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  28. पहली होली का सुन्दर अभिव्यक्ति बहुत खूब ,आप मेरे ब्लोग्स का भी अनुशरण करें ,ख़ुशी होगी
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  29. पहली होली की याद
    नम आँखों में सज
    भिगो जाती है जब-तब
    मन के आंगन द्वार
    ...शुभ-कामनायें

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  30. बहुत अच्छी कविता लगी. प्यार से एहसास के साथ तो फागुन और खिल उठता है. होली की शुभकामनायें.

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  31. सराहना तथा प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार!:-)
    ~सादर!!!

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  32. अच्छी ,भावपूर्ण कविता |

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