Monday, 14 May 2012

क्यूँ होता ऐसा कभी कभी......

क्यूँ होता ऐसा कभी कभी.....
एक शाम आती उदास सी,
कोई धुन गुनगुनाती उदास सी,
किसी की याद आती उदास सी,
एक मुस्कान लाती उदास सी,
दिल में लहर उठाती उदास सी,
आँखों से बह जाती उदास सी,
मैं मूरत बन जाती उदास सी....
क्यूँ होता ऐसा कभी कभी...

2 comments:

  1. ह्रदय से आभार है तुम्हरा हम सब को अपनी ज्ञान गंगा से स्नान करने का! गूढ़ शब्दों का अर्थ भरा प्रयोग करना तुम्हारी काबिलियत है भाषा की पकड़ भी बहुत खूब है जितनी तारीफ की जाये कम है..!

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  2. सुन्दर रचना, अनिता जी. ये ऐसे सदाबहार प्रश्न हैं जिनको पूछने वाला उत्तर जानता है फिरभी अपने प्रत्याशित उत्तर को दूसरों से सुनने के लिए वह सभी से बार बार पूछता है की क्यूँ होता है ऐसा ? काबिल-ए-तारीफ रचना. मेरे नज़रिए में शायद इसका यह उत्तर है:
    बीते हुए दिनों की यादें सजा रहे हैं,
    जो पा के खो चुके थे वो खो के पा रहे हैं.

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