Monday, 25 July 2016

**~एक अनमोल पल~'श्री गोपालदास नीरज जी' से मुलाक़ात~**

एक अनमोल पल ~ कारवाँ ग़ुज़र गया, सुबह न आई, वो हम न थे वो तुम न थे, दिल आज शायर है, रंगीला रे, फूलों के रंग से, शोख़ियों में घोला जाए, खिलते हैं गुल यहाँ, कैसे कहें हम.. आदि... जैसे गीतों के रचयिता, हमारे देश के गौरव, पद्मश्री एवं पद्मभूषण उपाधियों से अलंकृत परम आदरणीय कवि 'श्री गोपालदास नीरज जी' से कल (24/07/2016) मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनसे कुछ बातें हुईं। उन्होंने उठकर बैठने की कोशिश की पर अस्वस्थता के कारण नहीं उठ पाए, तो लेटे-लेटे ही बातें की। हमने उन्हें अपने दोनों काव्य-संग्रह भेंट किए। उन्होंने हमसे क्षणिकाएँ सुनी, हाइकु सुने एवं कुछ छंदबद्ध रचनाएँ सुनाने को कहा -हमने अपनी लिखी कुंडलियाँ उन्हें सुनाई जिसकी उन्होंने प्रशंसा की। उन्होंने हमारे पापा (श्री सुरेंद्र नाथ दरबारी) से फ़ोन पर बात भी की और उन दोनों ने वर्षों पहले कानपुर में बिताए हुए उन सुखद पलों को याद किया जब नीरज जी एक छोटे से कमरे में अपनी महफ़िल जमाया करते थे और हमारे पापा उन्हें सुना करते थे। पापा तब भी उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे, आज भी हैं! वे सोने के पहले उनकी कविताएँ, उनकी ही आवाज़ में यू-ट्यूब पर सुनते हैं।
यह पल सदैव हमारी यादों में एक सुनहरा पल बनकर रहेगा।







4 comments:

  1. श्री गोपालदास नीरज जी के गीत मुझे बहुत अच्छे लगते हैं .... बहुत अच्छी यादगार प्रस्तुति

    ReplyDelete
  2. किस्मत वालों को ऐसे सानिध्य प्राप्त होते हैं ... आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ...

    ReplyDelete
  3. सच में यादगार पल

    ReplyDelete
  4. Hello, Greetings! Blog Url - http://www.thedlove.in/
    द डी'लव हिन्दी ब्लॉग में आपका सह्य दिल से स्वागत है। कृपया पधारें, आपके विचार द डी'लव के लिए "अमोल" होंगें | आपकी हर अच्छी और ज्यादा अच्छी बातों का #commentbox में #mostwelcome है।

    ReplyDelete