१.
अनजाने में ही सही....
तुमने ही खड़े किए बाँध... अना के....
वरना..... मेरी फ़ितरत तो पानी -सी थी....!
२.
हाथ उठाकर दुआओं में...
तेरी खुशियाँ माँगी थी मैनें...
नहीं जानती थी....
मेरे हाथों की लक़ीरों से ही निकल जाएगा तू...!
३.
तुमसे जुदा हुई....
तो कुछ मर गया था मुझमें...
जो मर गया था....
उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो.....!
४.
ए खुदा मेरे ! मैं करूँ तो क्या ?
ग़मज़दा हूँ मैं... ना-शुक़्र नहीं...
एक हाथ में काँच सी नेमतें तेरी...
दूजे में पत्थर दुनिया के.....
दुनिया को उसका अक़्स दिखा...
या मुझको ही कर दे पत्थर....!
जो मर गया था....
ReplyDeleteउसमें ज़िंदा तुम आज भी हो.....!
आह .! मन को छूते भाव ....
सभी एक से बढ़कर एक क्षणिकाएँ
आभार
वाह....
ReplyDeleteलाजवाब क्षणिकाएं...
तीसरी तो दिल को चीर गयी....
सस्नेह
अनु
kamaal likha hai...so touchy!
ReplyDeleteहर क्षणिका गजब की ......अना की दीवार हो या फिर हाथ की लकीर या फिर ज़िंदा होने का खयाल .... बहुत खूब ...
ReplyDeleteबहुत गहरीं , पहली तीन लाजबाब लगीं.
ReplyDeleteसुन्दर !!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(25-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
आभार वंदना जी...
Deleteगहरीं क्षणिकाएँ बहुत खूब
ReplyDeleteतुमसे जुदा हुई....
ReplyDeleteतो कुछ मर गया था मुझमें...
जो मर गया था....
उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो.....!
बहुत ही गहन और मार्मिक अर्थ लिये हुये सशक्त रचना.
रामराम.
Bas vahi Aehsas es par bhi aur us par bhi...
ReplyDeleteआप सभी की सराहना व प्रोत्साहन का तहे दिल से धन्यवाद!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
वाह! वाह! अनीता (जी)...
ReplyDeleteहर एक क्षणिका अपने आप में एक पूरी दास्ताँ समेटे हुए है ...कहने को शब्द नही ...
बस अहसास करने को सब कुछ ....बहुत खूब .सुंदर.दर्द और ज़ज्बातों से भरपूर !
पर फिर भी अपनी पसंद ज़रूर कहूँगा नम्बर ५ ने दिल ली बात बयाँ कर दी !
सदा खुश और स्वस्थ रहें ........
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अशोक सर!:-)
Deleteबस... आप हमारे नाम के आगे जी मत लगाइए...-आप भूल गये शायद...:-)
~सादर!!!
तुमसे जुदा हुई....
ReplyDeleteतो कुछ मर गया था मुझमें...
जो मर गया था....
उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो.....!-------
मन में बसे प्रेम की गजब की अनुभूति
सुंदर क्षणिकायें
बधाई
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .मन को छू गयी .आभार . कुपोषण और आमिर खान -बाँट रहे अधूरा ज्ञान
ReplyDeleteसाथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
waah satya ko shabdon me badi khoobsurti se ukera hai ....
ReplyDeleteआदरेया आपकी ये कलापूर्ण क्षणिकाएं निर्झर टाइम्स पर 'विधाओं की बहार...' में संकलित की गई है।
ReplyDeleteकृपया http://nirjhar.times.blogspot.com पर अवलोकन करें।आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
सादर
ati sundar
ReplyDeleteअति सुन्दर क्षणिकाएं
ReplyDeleteबेहद सशक्त भाव कणिकाएं ...ॐ शान्ति .
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत सुंदर
ReplyDeleteएक बार अवश्य देखें- तौलिया और रूमाल
दिल को छू गई सुप्रभात
ReplyDeleteनिःशब्द करती अभिव्यक्ति
मन को छू गयी यह भावनात्मक अभिव्यक्ति.
ReplyDeletewah, bahut hee sundar! Badhai.
ReplyDeleteमन को छू के गुज़र जाते हैं सभी भावमय क्षणिकाएं ...
ReplyDeleteउम्दा ...
ए खुदा मेरे ! मैं करूँ तो क्या ?
ReplyDeleteग़मज़दा हूँ मैं... ना-शुक़्र नहीं...
एक हाथ में काँच सी नेमतें तेरी...
दूजे में पत्थर दुनिया के.....
दुनिया को उसका अक़्स दिखा...
या मुझको ही कर दे पत्थर....!
बहुत खूब लिखा है आपने...बधाई हो!
सादर/सप्रेम
सारिका मुकेश
बेहतरीन...
ReplyDeleteदुनिया को उसका अक़्स दिखा...
या मुझको ही कर दे पत्थर....!
सभी क्षणिकाएँ बहुत भावपूर्ण, बधाई.
तुमसे जुदा हुई....
ReplyDeleteतो कुछ मर गया था मुझमें...
जो मर गया था....
उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो.....!
क्या बात है!!!
ढ़
--
थर्टीन ट्रैवल स्टोरीज़!!!
तुमसे जुदा हुई....
ReplyDeleteतो कुछ मर गया था मुझमें...
जो मर गया था....
उसमें ज़िंदा तुम आज भी हो.....!
क्या बात है!!!
ढ़
--
थर्टीन ट्रैवल स्टोरीज़!!!
Anita Ma'am liked ur writings quite thoughtful...:):)
ReplyDeleteकाव्यालय में मैनें आपकी पोस्ट क्षणिकाएँ देखी तो आपका ब्लाग देखने का मन हुआ। और ब्लाग देखकर समय का सदुपयोग हुआ ये आभास हुआ। मैनें बहुत दोस्तों के ब्लाग देखे हैं ज्यादातर लोगों के ब्लाग पर मन की अभिव्यक्ति न होकर अपने प्रचार के लिये हों ऐसा लगता है। आज आपका ब्लाग देखा तो बहुत अच्छा लगा एकदम अलग और जमीनी (down to earth) लगा मुझे।
ReplyDeleteAnita Aania ; बहुत सुंदर कव्य्गुच्छ. हर क्षणिका में कमाल का काम हुआ है. सराहनीय काव्य प्रकार. धन्यवाद-
ReplyDeletekafi samy pashchat blog pe aya - aur har samy ki trha behtrin padhne ko mila
ReplyDeleteDhanywad
भावनात्मक अभिव्यक्ति.
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