** ज़िंदा हूँ ...नब्ज़ चल रही है...**
ज़िंदा हूँ ...नब्ज़ चल रही है..!
होंठ आदतन मुस्कुराते हैं...
फिर अचानक सिमट आते हैं...!
अनचाही उदासी की लहर उठ रही है...!
एहसासों की नमी से पलकें हैं.. भीगी भीगी..,
आँखों की चमक भी.. कुछ रूठी सी, बुझी बुझी...!
रूह ने भी तोड़ दिया रिश्ता.... तंग आकर....!
बेमानी ये समझौता... क्योंकर ?
ये घाटे का सौदा .. मंज़ूर नहीं..!
चलते तो हैं दोनों... संग संग.....
मगर हाथ पकड़ना... गवारा नहीं...!!!
हाथ न पकड़ा तो साथ चले क्यूँ???
ReplyDeleteसमझौते अकसर दर्द देते हैं....
सुन्दर रचना अनीता जी...
आपका देर से आना भी भला लगता है :-)
अनु
देर-सबेर सही...आने जाने का सिलसिला यूँ ही बनाए रखिए अनु जी !
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद !!!:-)
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
शास्त्री सर ! बहुत बहुत धन्यवाद व आभार...!
Delete~सादर !!!:-)
बहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत अच्छा है जिन्दा हैं और नब्ज भी चला रहे हैं
यहाँ तो अब मुर्दे भी बहुत से हाथ पाँव चला रहे हैं !
सुशील सर! अपना क़ीमती वक़्त देने का आपको तहे दिल से धन्यवाद व आभार ! भविष्य में ऐसे ही प्रोत्साहन की आशा है..
Delete~सादर!
बेहद सुन्दर रचना , बहुत-२ बधाई
ReplyDeleteशुक्रिया...अरुण शर्मा जी !:-)
Deletebhawana ke gahare sagar si rachana moti sarikhi,chhoti si.sadhuwad
ReplyDeleteanita ji our bhi rachanayen padhane ka awasar aapane diyaa,bhagayshali hun.shbadon ka sundar prayog gaharayi ko chhuta hai.mere blog par padhaarkar aashirwad diyaa saadar dhanyawad swikaren
ReplyDeleteDr. Joga Singh Kait Ji....आपके ब्लॉग में काफ़ी ज्ञान का भंडार है ! उसे पढ़कर अच्छा लगता है !:-)
Deleteमेरे ब्लॉग में अपना क़ीमती देने के लिए आपका ...बहुत बहुत धन्यवाद व आभार ! :-)
ओफ्फ! इतने खूबसूरत ब्लॉग में इतनी मार्मिक कविता!!
ReplyDeleteदेवेन्द्र पाण्डेय जी...ब्लॉग को और कविता को पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद व आभार !!!:-)
Deleteचलते तो हैं दोनों... संग संग.....
ReplyDeleteमगर हाथ पकड़ना... गवारा नहीं..
बहुत ही मार्मिक और दिल को छू जाने वाली लिखी है मैम!
सादर
शुक्रिया...यशवंत जी !!!:-)
Deleteआपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 22/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया.... Yashoda ji !:-)
Delete~सादर!!!
यूं ही साथ साथ चलते रहें तो हाथ भी पकड़ लेंगे इक दिन ...
ReplyDeleteसाथ बरकरार रहना जरूरी है ...
बिल्कुल सही...दिगम्बर जी ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !:)
Deleteबहुत बहुत शुक्रिया व आभार... यशोदा जी!!!:-)
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया....संगीता जी !:-)
Deletesundar rachna.....sach may aisa rishta bahut dard deta hai.....
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया....रेवा जी !:-)
Delete... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया... संजय भास्कर जी !:)
Deleteबहुत अच्छा जज्बातों का मिश्रण |
ReplyDelete-आकाश
शुक्रिया...... Akash Mishra ji !:-)
ReplyDeletegahan anubhutio ki parakastha,bahut sundar prastuti,
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