Friday 17 August 2012

** ज़िंदा हूँ ...नब्ज़ चल रही है...**


ज़िंदा हूँ ...नब्ज़ चल रही है..!
होंठ आदतन मुस्कुराते हैं...
फिर अचानक सिमट आते हैं...!
अनचाही उदासी की लहर उठ रही है...!
एहसासों की नमी से पलकें हैं.. भीगी भीगी..,
आँखों की चमक भी.. कुछ रूठी सी, बुझी बुझी...!   
रूह ने भी तोड़ दिया रिश्ता.... तंग आकर....!
बेमानी ये समझौता... क्योंकर ?
ये घाटे का सौदा .. मंज़ूर नहीं..!
चलते तो हैं दोनों... संग संग.....
मगर हाथ पकड़ना... गवारा नहीं...!!!

29 comments:

  1. हाथ न पकड़ा तो साथ चले क्यूँ???
    समझौते अकसर दर्द देते हैं....
    सुन्दर रचना अनीता जी...
    आपका देर से आना भी भला लगता है :-)
    अनु

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    1. देर-सबेर सही...आने जाने का सिलसिला यूँ ही बनाए रखिए अनु जी !
      बहुत बहुत धन्यवाद !!!:-)

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (18-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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    1. शास्त्री सर ! बहुत बहुत धन्यवाद व आभार...!
      ~सादर !!!:-)

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  3. बहुत खूब !

    बहुत अच्छा है जिन्दा हैं और नब्ज भी चला रहे हैं
    यहाँ तो अब मुर्दे भी बहुत से हाथ पाँव चला रहे हैं !

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    1. सुशील सर! अपना क़ीमती वक़्त देने का आपको तहे दिल से धन्यवाद व आभार ! भविष्य में ऐसे ही प्रोत्साहन की आशा है..
      ~सादर!

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  4. बेहद सुन्दर रचना , बहुत-२ बधाई

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    1. शुक्रिया...अरुण शर्मा जी !:-)

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  5. bhawana ke gahare sagar si rachana moti sarikhi,chhoti si.sadhuwad

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  6. anita ji our bhi rachanayen padhane ka awasar aapane diyaa,bhagayshali hun.shbadon ka sundar prayog gaharayi ko chhuta hai.mere blog par padhaarkar aashirwad diyaa saadar dhanyawad swikaren

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    1. Dr. Joga Singh Kait Ji....आपके ब्लॉग में काफ़ी ज्ञान का भंडार है ! उसे पढ़कर अच्छा लगता है !:-)
      मेरे ब्लॉग में अपना क़ीमती देने के लिए आपका ...बहुत बहुत धन्यवाद व आभार ! :-)

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  7. ओफ्फ! इतने खूबसूरत ब्लॉग में इतनी मार्मिक कविता!!

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    1. देवेन्द्र पाण्डेय जी...ब्लॉग को और कविता को पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद व आभार !!!:-)

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  8. चलते तो हैं दोनों... संग संग.....
    मगर हाथ पकड़ना... गवारा नहीं..

    बहुत ही मार्मिक और दिल को छू जाने वाली लिखी है मैम!

    सादर

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  9. आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 22/08/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  10. यूं ही साथ साथ चलते रहें तो हाथ भी पकड़ लेंगे इक दिन ...
    साथ बरकरार रहना जरूरी है ...

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    1. बिल्कुल सही...दिगम्बर जी ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद !:)

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  11. बहुत बहुत शुक्रिया व आभार... यशोदा जी!!!:-)

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया....संगीता जी !:-)

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  13. sundar rachna.....sach may aisa rishta bahut dard deta hai.....

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया....रेवा जी !:-)

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  14. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया... संजय भास्कर जी !:)

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  15. बहुत अच्छा जज्बातों का मिश्रण |

    -आकाश

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  16. gahan anubhutio ki parakastha,bahut sundar prastuti,

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