Thursday 28 June 2012

* इक़रार-नामा *




रात तकिये में.. एक ख्वाब टांक लेंगे,
अपने हिस्से की चादर... हम तुमसे  'बाँट'  लेंगे..!

सपनों का तो अपना... कोई बाज़ार नही होता है ,
पलकों पे सजा लेना... हम सारी  'हाट'  लेंगे..!

मुमकिन है..अपनी चाहत गुलशन का कारवाँ हो,
खारों से न डरेंगे...गुल-ए-वस्ल  'छांट' लेंगे...!

दर्द बड़ा बेदिल है ...मगर हम न डरेंगे ,
थक के निकल जाएगा... हम अपनी 'बाट' (राह)  लेंगे...!

ये प्यार की डगर है.. हर मोड़ बेरहम है ,                
हमने भी है ये ठानी... हर खाई  'पाट'  लेंगे...!

गर ज़िंदगी हमारी.. कर जाए बेवफ़ाई,       
आँखों में जा बसेंगे... ख्वाबों के 'ठाठ' लेंगे...!

है प्यार जुनूँ हमारा.. न पीछे कभीं हटेगा ,
फूलों संग खिल उठेंगे... लोहे को  'काट'  देंगे...!

तुम  'हीरे'  की मानिंद.. चमके हो ज़िंदगी में..,
तेरे प्यार में जियेंगे... तेरे गम में  'चाट'  लेंगे...!!!

13 comments:

  1. मुमकिन है..अपनी चाहत गुलशन का कारवाँ हो,
    खारों से न डरेंगे...गुल-ए-वस्ल 'छांट' लेंगे...!

    बहुत बढ़िया मैम!


    सादर

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  2. शुक्रिया....Yshoda Agrawal ji !!! :-)

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  3. शुक्रिया.... यशवंत माथुर जी !!! :-)

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  4. ....खूबसूरती से लिखा है

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    1. शुक्रिया...संजय भास्कर जी !:-)

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  5. दर्द बड़ा बेदिल है ...मगर हम न डरेंगे ,
    थक के निकल जाएगा... हम अपनी 'बाट' (राह) लेंगे...!
    वाह ... बेहतरीन

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    1. सदा जी....बहुत बहुत शुक्रिया ! आपके उत्साहवर्धक शब्दों का बहुत बहुत आभार ! :-)

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  6. सुन्दर ....बहुत बहुत सुन्दर ...
    अनीता जी मन खुश हुआ पढ़ कर.....

    बधाई.

    अनु

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद...अनु जी !:)

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  7. क्या बात है... बहुत खूब...
    सादर।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद !:)

      सादर !

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  8. रात तकिये में.. एक ख्वाब टांक लेंगे,
    अपने हिस्से की चादर... हम तुमसे 'बाँट' लेंगे..

    बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ... प्यार का गहरा एहसास लिए ... बहुत ही खूबसूरत ...

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    1. तहे दिल से शुक्रिया....दिगम्बर जी !:)

      सादर !

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