उदासी.....
दबे पाँव आती है, दिल में उतर जाती है.. !
आँखों की महकती डगर... बियाबान कर जाती है... !
होठों से मुस्कान.., जिस्म से जान छीन ले जाती है....!
दिल को बनाकर गुलाम अपना.....
हुक़ूमत उसपर चलाती है !
बिन बुलाए मेहमान सी.....
क्यूँ आई..., किधर से आई..., क्यूँ रौब मुझे दिखाती है... ?
मेरे ही घर में घुसकर...कितना ये इतराती है...?
ज़ंजीरों में जकड़ मुझे.....
क्यूँ बेबस, लाचार, बेज़ार कर जाती है... ?
ये '' उदासी ''......
क्यूँ अपने रंग में रंग कर मुझे......
उदास.....बहुत उदास... कर जाती है........???
बहुत ही बढ़िया मैम!
ReplyDeleteसादर
यशवन्त माथुर जी, बहुत बहुत धन्यवाद ! :-)
Deleteकल 31/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
यशवन्त माथुर जी, खुशी है हमें, आपने इस कविता को इतना पसंद किया! 'नयी पुरानी हलचल' में इसे जगह देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया और आभार....!!!:-)
Deleteबिन बुलाए मेहमान सी.....
ReplyDeleteक्यूँ अपने रंग में रंग कर मुझे......
उदास.....बहुत उदास... कर जाती है........???
सच .... !
मेरे साथ तो हमेशा ही हो जाता है .... :D
Vibha Rani Shrivastava ji, अक्सर हम सभी के साथ ऐसा होता है ! ये उदासी ऐसी बिन बुलाई मेहमान ही सी तो होती है...
Deleteपसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!! :-))
waah ji kya baat hai...very well written..
ReplyDeleteडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी, बहुत बहुत धन्यवाद ! :-)
ReplyDeletePallavi ji, :-)))...Thank u so much !!!
ReplyDeleteसही कहा ये उदासी बिन वजह ही टपक जाती है..
ReplyDeleteऔर परेशान करती है..
सुन्दर प्रस्तुति...
रीना मौर्या जी, बहुत बहुत धन्यवाद! ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहिए! :)
Deleteयही तो उदासी का कहर है।
ReplyDeleteवंदना जी....सच कहा आपने...उदासी का क़हर...!
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद! :) यहाँ तक आने का भी बहुत बहुत शुक्रिया !!! :-)
"ये '' उदासी ''......
ReplyDeleteक्यूँ अपने रंग में रंग कर मुझे......
उदास.....बहुत उदास... कर जाती है...???"
a genuine doubt.. :)
बहुत सुंदर रचना अनीता जी..
आभार!!
बहुत बहुत धन्यवाद ब्रिजेन्द्र सिंह जी !
Deleteये उदासी....
ReplyDeleteखूबसूरत रचना...
सादर।
S.M.HABIB Sahb.....बहुत बहुत शुक्रिया ! :)
Deleteसादर
उदासी अपना असर छोड़ जाती है ... जहां भी जाती है ...
ReplyDeleteमासूमियत से सराबोर रचना...इतने सारे प्रश्न और सभी के सभी तर्कसंगत भी लगते हैं....पर शायद ये उदासी भी तो जीवन एक अभिन्न अंग है
ReplyDeleteबहुत खूब मैम
आभार
Anjani Kumar ji.....बहुत बहुत शुक्रिया ! :)
Deleteसही कहा आपने ! उदासी भी हम सबके जीवन का एक अभिन्न अंग ही है !
यूँ ही तो उदासी नहीं आती कोई कारण जरुर होता है .. बहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteकविता रावत जी...........बहुत बहुत शुक्रिया ! :-))
Deleteयकायक छाये बादलों सी
ReplyDeleteये उदासी ।
इसको बहुत अचछे से शब्द दिये आपने । सुंदर कविता ।
आशा जोगलेकर जी.... बहुत बहुत धन्यवाद ! :-))
Deleteवाह बहुत सुन्दर ..तुम्हारी लेखनी में निखार आता जा रहा है ...बहुत सुन्दर, सहज, सच्चे भाव ...!!!!
ReplyDeleteThank u so much !:)
ReplyDeleteआपकी बातों से बहुत हौसला मिला ! यूँ ही आते रहिए...और हौसला बढ़ाते रहिए... :-)
beautiful..............
ReplyDeleteexcellent expression anita ji.
anu
Thank you soooo much......anu ji ! :-)
ReplyDeleteYour feedback matters a lot to me ! Plz Keep encouraging !!!