पिछले भाग में मैनें बताया था कि हम लोग स्विट्ज़रलैंड (Switzerland) में अपने होटेल पहुँचे ! ये होटेल एंजेलबर्ग ( Engelberg) में था! बहुत ही मन मोहने वाली जगह, उसपर पहाड़ी पर अपना होटेल! जाने के लिए सुरंग और लिफ्ट से जाना पड़ता था! कमरा भी बहुत बढ़िया था और उसके सामने छत भी थी... जहाँ से Mount Titlis (Alps Ranges) दिखाई दे रहीं थी! खाना खाकर हम तीनों ऐसे ही थोड़ा आस-पास टहलने निकले! कुछ दूर बाज़ार की सैर कर के आए! दुकानें सभी बंद हो चुकीं थीं! शांत वातावरण में घूमकर बहुत अच्छा लगा!
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Hotel Terrace, Engelberg, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Evening Walk after dinner near the hotel (photo: Anita Lalit) |
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Hotel Terrace, Engelberg, Switzerland in the Night (photo: Anita Lalit) |
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View from the terrace in front of our room (photo: Anita Lalit) |
अगले दिन सुबह हम लोग नाश्ता करके निकले! हम लोगों को आज Jungfraujoch जाना था ! ये योरोप का सबसे ऊँचा पॉइंट है, Highest point of Europe जो कि 'सी लेवेल' से ३,४५४ मीटर ( 3,454 mt. above sea level) ऊँचा है! और यहाँ जाने के लिए ट्रेन से जाना होता है... ये रेलवे स्टेशन योरोप में सबसे ऊँचा रेलवे स्टेशन है, Highest Railway Station of Europe !
पहले हम लोग पहुँचे Interlaken Town! ये town दो झीलों Lake Thun व Lake Brienz के के बीच में है! रास्ते भर बहुत ही ख़ूबसूरत नज़ारा देखने को मिला! कहीं हरे, तो कहीं बर्फ से ढके पहाड़, सुंदर झीलें, बहते झरने... कुल मिलाकर बहुत ही नैसर्गिक जगह थी...जैसा कि हम लोग यश चोपड़ा साहब की फिल्मों में देखते हैं!
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Ready for the visit to Interlaken town market & Jungfraujoch |
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View around our Hotel (photo: Anita Lalit) |
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View around our Hotel (photo: Anita Lalit) |
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Beautiful Scenery on the way (photo: Anita Lalit) |
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Beautiful Scenery on the way (photo: Anita Lalit) |
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Beautiful Scenery on the way (photo: Anita Lalit) |
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photo: Anita Lalit |
वो जगह Metropole भी देखी... जहाँ पर दोनों लौटते वक़्त एक दूसरे से फ़ोटो / पोस्टकार्ड एक्सचेंज करते हैं!
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Interlaken (photo:Anita Lalit) |
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Interlaken (photo: Anita Lalit) |
वहाँ यश चोपड़ा साहब का बहुत मान है क्योंकि उनकी फिल्मों की शूटिंग की वजह से ये शहर/ देश बहुत मशहूर हुआ! उनकी याद में वहाँ एक छोटा सा मॉन्युमेंट भी बना हुआ है...ऐसा हमारे गाइड मनीष जी ने बताया ! हालाँकि वो हम लोग नहीं देख पाए! हम लोगों ने वहाँ से memoirs लिए.. और बस पर आ गये... क्योंकि Jungfraujoch की ट्रेन का समय हो रहा था! हम लोगों का लंच टाइम होने वाला था...सो सबको लंच पैकेट्स दे दिए गये, कि ट्रेन में बैठकर खा लिया जाएगा!
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Interlaken Railway Station to board the train for Jungfraujoch (photo:Anita Lalit) |
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Our Trip Group in the train (photo:Anita Lalit) |
उसके बाद शुरू हुआ...ट्रेन का वो खूबसूरत, यादगार सफ़र! बर्फ की पहाड़ियों के बीच में से निकलती हुई ट्रेन! बस! मज़ा ही आ गया! कुछ देर बाद ट्रेन एक सुरंग में चलने लगी ! एक जगह उतर कर ट्रेन बदलनी भी थी! बीच में दो जगहों पर उतरकर नीचे देखने का मौका दिया गया! गुफा जैसा स्टेशन.... बत्तियाँ जल रहीं थीं...और थोड़ा आगे जाने पर बड़ी सी शीशे की खिड़की... जहाँ से नीचे का नज़ारा देखा जा सके... कि हम लोग जिस जगह पर खड़े हैं... कितनी ऊपर है! चारों तरफ बर्फ के पहाड़ ही पहाड़ दिखाई दे रहे थे! क़रीब दो-ढाई घंटों बाद हम उतरे अपने गंतव्य स्थान ... यानी Jungfrauoch !
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In the train to Jungfraujoch (photo: Anita Lalit) |
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The Train going upwards to Jungfraujoch (photo: Anita Lalit) |
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At the station waiting for the next train (photo: Anita Lalit) |
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Train about to enter the Tunnel (photo: Anita Lalit) |
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At Midway stop (photo: Anita Lalit) |
बाहर निकलने के बाद हम लोगों को समझाया गया...कि किस लेवेल पर क्या है, क्या चीज़ ज़्यादा अच्छी है जहाँ ज़्यादा वक़्त देना चाहिए... और ठीक कितने बजे वापस किस जगह पर मिलना है, जहाँ से हम सबको लौटने के लिए नीचे वापस जाना है!
बाहर निकलते ही दिखी .... 'सिर्फ़ और सिर्फ़ बर्फ' ! और साथ ही... खूब ठंडी तेज़ हवा..इतनी तेज़ की टोपी तक उड़ जाए! टोपी क्या! कितनी बार तो जाने हम ही डगमगाए! मौसम ज़रा नाराज़ सा था.... पल भर को सूरज दिखता, फिर बादल छा जाते! इस वजह से और भी ठंड लग रही थी! खैर हम लोगों ने खूब मस्ती की बर्फ में!
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Sphinx, Jungfraujoch (3,571 mt. above sea level) (photo:Anita Lalit) |
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At Sphinx, Jungfraujoch (photo:Anita Lalit) |
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At Sphinx, Jungfraujoch (photo:Anita Lalit) |
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At Sphinx, Jungfraujoch (photo:Anita Lalit) |
उसके बाद गये आइस-केव (Ice Cave) में! वहाँ सब कुछ बर्फ से बना हुआ था! वो भी बहुत ख़ूबसूरत!
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Ice Cave, Jungfraujoch (photo: Anita Lalit) |
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Ice Cave, Jungfraujoch (photo: Anita Lalit) |
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Alpine Sensation, Jungfraujoch (photo: Anita Lalit) |
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Alpine Sensation, Jungfraujoch (photo: Anita Lalit) |
इसी प्रकार दो-तीन जगहों पर ( Ice Palace, Alpine Sensation, Sphinx )घूमकर चाय/ कॉफी पी, मैगी खाई गयी! और चल दिए फिर वापस नीचे की ओर ट्रेन में!
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From Jungfraujoch to Interlaken (photo: Anita Lalit) |
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From Jungfraujoch to Interlaken (photo: Anita Lalit) |
ट्रेन से हम सभी वापस आ गये और फिर बस से अपने होटेल! अगले दिन Mount Titlis (माउंट टिटलिस) जाना था!
Mount Titlis ३,२३८ मीटर ऊँची जगह थी! यहाँ हम लोगों को केबल कार (Cable Car) से जाना था! हम सभी आज भी बहुत उत्साहित थे! आज मौसम भी कल से बेहतर था! होटेल से नाश्ता करके निकले और पाँच मिनट में ही हम सभी केबल कार स्टेशन पहुँच गये! Mount Titlis जाने के लिए हम लोगों को केबल कार भी बदलनी पड़ी! पहले एक से गये, फिर कुछ देर बाद उतारकर दूसरी केबल कार में बैठे , फिर उसके बाद 'Rotair' रोटेटिंग केबल कार में गये! ये दुनिया की सबसे पहली रोटेटिंग केबल कार (Rotating Cable Car) है! वही खूबसूरत नज़ारे देखते हुए कुछ समय बाद हम सभी पहुँच गये Mount Titlis! वाह! वही नज़ारा , मौसम बहुत ही प्यारा..... ! उतरकर बाहर आने पर सबसे पहले दर्शन हुए... इनके :-
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Poster of SRK & Kajol at Mount Titlis, Switzerland (photo:Anita Lalit) |
वैसे ही बर्फ में खेलने के लिए खुली जगह.... बर्फ़ के टीले! जिधर भी नज़र घुमाओ.... रूई के फाहों जैसी बर्फ ही बर्फ दिखाई दे रही थी! हम लोग बर्फ के टीलों पर चढ़े, फिसले, खूब खेले! उसके बाद यहाँ भी आइस केव थी, वहाँ गये, चाय पी! कुछ लोगों ने स्विस कपड़ों में फ़ोटो भी खिंचवाए! कुछ घंटे वहाँ बिताने के बाद हम सभी वापस आ गये, उसी तरह केबल कार से!
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Mount Titlis, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Mount Titlis, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Mount Titlis, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Mount Titlis, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Mount Titlis, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Mount Titlis, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Ice Cave, Mount Titlis, Switzerland (photo: Anita Lalit) |
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Rotair (The Rotating Cable Car) for Mount Titlis (photo: Anita Lalit) |
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Cable Car for Mount Titlis (photo: Anita Lalit) |
लौटकर हम सब ने लंच किया और निकल पड़े अपने अगले व अंतिम पड़ाव यानी इटली के मिलान शहर (Milan, The Fashion Capital , Italy ) की तरफ़!
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On our way to Milan, Italy (photo: Anita Lalit) |
हम सभी में थोड़ी-बहुत दोस्ती हो गयी थी! लौटते वक़्त ऐसा लग रहा था... पता नहीं क्या पीछे छूटा जा रहा है! आपस में मेल आई. डी , और फ़ेसबुक आई. डी एक्सचेंज की!
नौ बजे सुबह हम एअरपोर्ट के लिए निकल गये!
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In the flight...Back to India (photo: Anita Lalit) |
मजा आ गया, हम सबने भी यूरोप का टूर कर लिया।
ReplyDeleteबहुत अच्छी तरह आपने यात्रा भ्रमण का ब्यौरा दिया।
तस्वीरें बहुत खूबसूरत हैं।
आभार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (07-08-2013) के रीयल्टी शो पाक का, आतंकी भी फेल :चर्चा मंच 1330 में मयंक का कोना पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार शास्त्री सर....
Deleteशानदार यात्रा वृत्त लिखने का उम्दा अंदाज सुन्दर चित्र |आभार
ReplyDeleteवाह ... लाजवाब फोटो और सुन्दर शब्दों से आपने यात्रा को बाखूबी पोस्ट में उतारा है ... सपनों जैसी है स्विट्जरलैंड की धरती ... प्रेम हवाओं में घुला हो जैसे ...
ReplyDeleteआपने तो घर बैठे बैठे ही परी लोक की सैर करवा दी, वाकई यह आलेख कुछ विशेष सुंदर है शायद स्विटरजर्लैंड की वजह से, चित्र भी बहुत ही लुभा रहे हैं. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
पढ़ते पढ़ते ऐसा लगा जैसे हम खुद भी यूरोप में ही हों |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर यात्रा संस्मरण |
लेखन और फोटो बहुत ही अच्छे |
डॉ अजय
link sahit ....
प्रकृति के मनमोहक ,शांत वातावरण में ...मन में उमड़े कुछ उच्च विचार ,जो सफलता ,समृद्धि और शांति की ओर ले जाते हैं |पढ़िए-
“एक शाम संगम पर {नीति कथा-डॉ.अजय} "
एक अविवाहित युवक का विवाहित जीवन के बारे में सुंदर कथा ...सुदर रूपको से सजी कथा ...पढ़िए -
“तू मेरी जिंदगी हैं ....{कथा लेखन -डॉ.अजय यादव }"
हम सबमे अनंत शक्तियाँ हैं,हम सब इस पृथ्वी पर जन्मे ईश्वर के अंश हैं ,हमारी शक्तियों पर शोर्ट नोट-
“आपके अवचेतन मन की शक्तियाँ"
अक्सर जिंदगी गुजर जाने के बाद ..कुछ चीजों का अफ़सोस रह जाता हैं .अभी वक्त हैं ..सचेत करने वाली पोस्ट -
“जिंदगी {आपसे कुछ कह रही हैं ....}"
अपने जीवन कों खूबसूरती,स्वास्थ्य ,सफलता ,उत्तमता ,ध्यान समृद्धि से कैसे भरे ,आडियो गाईडेंस युक्त पोस्ट ,जरुर पढे,व सुने -
“हर सपना होंगा सच-बैज्ञानिक ढंग से तैयार विजुलायिजेसन की आडियो "
आडियो प्रोग्राम ,आडियो लोड कीजिये आँख मुद् कर शांत जगह बैठिये ,गहरे मेडिटेशन कों महसूस कीजिये -
“उर्जा का अथाह सागर ....अवचेतन मन "
मेरी २४ वर्षीया शिक्षिका ,जो इस दुनिया में नही हैं ,पर इस दुनिया कों जो देकर गयी ,उसके लिए आज भी उनके छात्र और मित्र रोते हैं ,सुंदर कथा
“रेखा मैडम "
bahut sundar yatra vritant...
ReplyDeleteदेखो जी सबसे पहली बात अब अपने ब्लॉग का कवर पेज बदल डालो हाँ बोर हो गए इसे देखते-2....अब आते हैं पोस्ट पर हम लोग इंटेर्लेकन में ही ठहरे थे :) अब भी कुछ नहीं बदला है वहाँ लेकिन यश चोपड़ा जी की याद में वहाँ एक छोटा सा मॉन्युमेंट भी बना हुआ है। यह जानकारी नयी है हमारे लिए और हो भी क्यूँ ना भई हम गए भी तो 7 साल पहले थे वो भी दिसंबर की कड़कती ठंड में और हाँ आपने उसका तो ज़िक्र ही नहीं किया नाम ठीक से तो अब मुझे भी याद नहीं है मगर शायद में ही करीब -13 dgree के आस पास तापमान होता है जहां लोग जाकर शूटिंग मतलब फोटो भी खींचते हैं मेरे श्रीमान जी भी वहाँ गए थे।
ReplyDeleteहहा! पल्लवी! देखो भई! ब्लॉग का कवर पेज बदलने में हमें बहुत डर लगता है... एक-आध बार कोशिश की थी..मगर सबकुछ उल्टा फल्टा होने लगा तो हमने ऐसे ही रहने दिया!
Deleteदूसरी बात ये कि हम लोगों के पास जितना समय था... उतना ही हम सभी घूम पाए! इसके अलावा लिखने बैठो...पता नहीं क्या-क्या लिखते चले जाएँ... उसकी भी तो थोड़ी limit देखनी पड़ती है ना...! वैसे अपनी भरसक हमने पूरी कोशिश की है... कि कोई important चीज़ ना छूट जाए...!
अगली बार सिर्फ़ स्विट्ज़रलैंड ही जाएँगे...तब खूब विस्तार से लिखेंगे उसके बारे में... :)
मेरे इस प्रयास को सराहने व मुझे प्रोत्साहित करने के लिए आप सभी गुणी जनों का दिल से आभार तथा धन्यवाद! :-)
ReplyDelete~सादर!!!
अनीता (जी) हक बनता है :-))
ReplyDeleteजीते ज़ी,परी लोक और स्वर्ग लोक की यात्रा करा दी ....खुबसूरत और जानदार चित्रों के माध्यम से ..बहुत सलीके से चित्रों को सजाया एक परीलोक कथा सुनाने,दिखाने और समझाने के लिए और अनीता तुम पूरी १००% कामयाब हुई ...मेरा तो ऐसा ही मानना है|
कुदरत ने कितनी दिल खोल के खूबसूरती बिछा रखी है इस धरती पर..पर हम आँखे खोलें तब न ...बंद आँखों से कीचड़ पे लोटने की आदत सी हो गयी है ...और ऐसी ही सोच भी ....
स्वस्थ रहें !
आपकी टिप्पणी निःशब्द कर देती है.... अशोक भैया...
Deleteतहे दिल से आभार...
~सादर!!!
सुन्दरम मनोहरं एक परीलोक बुन दिया आपने हमारे गिर्द भी।
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत चित्र...रोचक यात्रा वृतांत...
ReplyDeleteTHE GREAT JOURNEY AND BEAUTIFUL PHOTOGRAPHS SO NICE
ReplyDeleteबेहतरीन चित्रों से सजा रोचक यात्रा वृतांत.
ReplyDeleteसैर कर दुनिया की गाफिल जिंदगानी फिर कहाँ। बढ़िया सैर कराई है।
ReplyDeleteपढ़ते पढ़ते ऐसा लगा जैसे हम खुद भी यूरोप में ही हों |
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर यात्रा संस्मरण |
लेखन और फोटो बहुत ही अच्छे |
बहुत ही सुंदर चित्रमयी यात्रा-वृतांत को पढ़ने का सौभाग्य मिला...आनंदित हो उठा मन...आपको हृदय से बधाई और शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteसादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
इन चित्रों को देख हमारा मन भी भ्रमण हेतु ललचा उठा है।।।
ReplyDeleteअनिता जी आज पहली बार आप के ब्लॉग को सहज साहित्य पर आप की टिप्पणी पढ़कर देखा देखने के बाद आंनद आ गया। मैं ज्यादा कहीं घुमी नहीं हूँ परन्तु मुझे अलग अलग चित्रण से भी आंनद मिलता है। आप ने जिस खूबसूरती से अपने भ्रमण को संजोया बहुत अच्छा लगा। बधाई और धूमती रहिये ताकि हम भी आंनद ले सकें।
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