जब ज़िंदगी में सैलाब आता है...
आँसू भी लहर बनकर उसका साथ देते हैं...
हाथों की पतवार से उन्हें हटा कर...
रास्ता बनाकर...
जीवन नैया को पार पहुँचाओ...
उस पार...
जहाँ कोई सपना इंतज़ार कर रहा होगा...
किसी जादुई स्पर्श का...
'अपनी हक़ीक़त के वजूद' से रू-ब-रू होने का.....
क्योंकि... हर सपना झूठा नहीं होता....
सबकी क़िस्मत में सच्चा प्यार होता है...
कभी ना कभी...कहीं ना कहीं...
ज़िंदगी में कम से कम...एक बार तो...
उससे मुलाक़ात ज़रूर होती है...
बस उस तक पहुँचने की ज़रूरत है....
वक़्त, नज़र और हालातों के फेर में...
उलझे बिना, चूके बिना....
दिल की गहराई की आवाज़ सुनते हुये...
तूफ़ानों से गुज़रते हुए...
रास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं....
सच्चे प्यार को पाने के लिए.....
वाह!!! बहुत बढ़िया रचना | आनंदमय | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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'उलझे बिना, चूके बिना....'
ReplyDelete- कोशिश सफल होती है कभी-न-कभी!
बहुत सुंदर .... सकारात्मक भाव
ReplyDeleteदिल की गहराई की आवाज़ सुनते हुये...
ReplyDeleteतूफ़ानों से गुज़रते हुए...
रास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं....
सच्चे प्यार को पाने के लिए....
...सबसे खूबसूरत पंक्तियाँ ...!!!
क्योंकि... हर सपना झूठा नहीं होता....
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा अनिता जी ...बहुत सुन्दर!
बड़ी मशक्कत का काम है .... सुंदर रचना
ReplyDeleteबिलकुल सच कहा अनीता ने
ReplyDeleteरास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं....
सच्चे प्यार को पाने के लिए.....
आभार
बहुत खूब ......शानदार ।
ReplyDeleteबिल्कुल सच
ReplyDeleteरास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं....
सच्चे प्यार को पाने के लिए...
बस एक हौसले की जरूरत होती है ...
God Bless U .....
ज़िंदगी में कम से कम...एक बार तो...
ReplyDeleteउससे मुलाक़ात ज़रूर होती है...
बस उस तक पहुँचने की ज़रूरत है....
वक़्त, नज़र और हालातों के फेर में...
उलझे बिना, चूके बिना....
दिल की गहराई की आवाज़ सुनते हुये...
तूफ़ानों से गुज़रते हुए...
रास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं....
सच्चे प्यार को पाने के लिए
सही वक़्त और सही मौका मिले आप उसका उपयोग कर लीजिये
दिल की गहराई की आवाज़ सुनते हुये...
ReplyDeleteतूफ़ानों से गुज़रते हुए...
रास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं....
सच्चे प्यार को पाने के लिए.....
सुंदर भाव, अनुपम विचार.
नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
ReplyDeleteआपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग
रस्ते खुद ही बनाने होते हैं ...
ReplyDeleteसच कह अहि हिम्मत की डरकर होती है ...
ReplyDeleteसच्चे रास्ते के लिए पुरुषार्थ का जीवट वाह क्या बात है .
क्या किया जाए बहुत मारा मारी है सच्चे प्यार के लिए. सही वक़्त का इंतज़ार... और कायनात भी साथ देने लगती है सच्चे प्यार तक पहुंचाने में. बहुत सुन्दर, बधाई.
ReplyDeleteसच है, रास्ते खुद को बनाने पड़ते हैं...........
ReplyDeleteसच है, रास्ते खुद को बनाने पड़ते हैं...........
ReplyDeletesundar likhti hain aap Anita ji..
ReplyDeleteतूफ़ानों से गुज़रते हुए...
ReplyDeleteरास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं....
सच्चे प्यार को पाने के लिए.....
.............सुंदर भाव
मेरी इस सोच को सराहने के लिए तथा मुझे प्रोत्साहित करने के लिए आप सभी गुणी जनों का दिल से धन्यवाद व आभार..!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
रुक जाना नहीं....तू कहीं हार के....
ReplyDelete--प्लीज़ ब्लॉग का ले-आउट बदलिए...टिप्पणी के लिए का संकेत कैसे क्लिक करें- दिख ही नहीं रहा...!! अंदाज़े से यहाँ तक पहुंचा हूँ---
**~रास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं.... सच्चे प्यार को पाने के लिए....~**
ReplyDeleteप्यार का मर्म एक पंक्ति में,बधाई