Friday, 8 February 2013

**~आओ...फिर वही पुराना गीत गुनगुनायें ...~**



आओ...फिर वही  पुराना गीत गुनगुनायें ...

तुम अपनी छत पर.. मैं अपनी छत पर ..
देखें दोनों.. एक दूजे को छिप कर !
पड़ जायें कहीं सामने तो... 
निकल जायें फिर क़तरा कर...!

रस्ते पे टकटकी लगाए...करूँ मैं तुम्हारा इंतज़ार...
पाने को एक झलक तुम्हारी...होती रहूँ मैं बेक़रार..
मगर तुम्हारे आते ही...छिप जाऊँ मैं पर्दे की आड़...
और देखो मुझे, तुम.. पलट-पलट कर... बार-बार.. !
तरसती निगाहें छोड़ कर... सूने से उस मोड़ पर..,
गुम जाओ तुम... देकर मुझको..फिर उदासी का सिंगार..!

एक आस मेरी, एक तुम्हारी... 
आँखों में लेकर ...सो जायें दोनों ..!
अगली शाम सजाने को....
फिर सपनों के दीप जलायें....!

आओ...फिर वही  पुराना गीत गुनगुनायें...!!!

17 comments:

  1. आपकी प्रेरणा-
    आभार आदरेया ||

    कृष्णा चोरी में मगन, बूझे नहीं बसन्त |
    माखन के पीछे लगा, व्यापे नहिं रतिकन्त |
    व्यापे नहिं रतिकन्त, अंत तक वही छलावा |
    लुकना छिपना पंथ, शहर से मिला बुलावा |
    किन्तु भरोसा एक, मिटाए वो ही तृष्णा |
    छलिया भरे अनेक, किन्तु बढ़िया है कृष्णा ||

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  2. दोपहर की धूप में मेरे बुलाने पे तेरा..वो तेरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है ... बहुत प्यारे अहसासों से भरी रचना !

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  3. sab se achi bat jo lagi aap ne kavita ko bada karne keliye bhav ko khtam nhi hone diya

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  4. एक आस मेरी, एक तुम्हारी...
    आँखों में लेकर ...सो जायें दोनों ..!
    अगली शाम सजाने को....
    फिर सपनों के दीप जलायें....!


    आशा का सौन्दर्य शास्त्र बिखेरती रचना

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  5. बहुत सुंदर प्रेममयी भावाव्यक्ति ,बधाई

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  6. बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ ....

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  7. आते है जिन्दगी में जब बून्द-बून्द लम्हें।
    संगीत सा सुनाते हैं बून्द-बून्द लम्हें।

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  8. बहुत सुन्दर भाव चित्र शब्दों में उकेरा है .प्रेम का गीत .

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  9. बेपनाह मोहब्बत करने वालों को इस कायनात में पनाह नहीं मिलती शायद .....।

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  10. बहुत खूबसूरत भाव, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. आप सभी गुणी जनों ने अपना क़ीमती वक़्त दिया...इस के लिए तहे दिल से धन्यवाद व आभार!
    ~सादर!!! :-)

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  12. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति ........प्रणाम !

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