तुम्हारे-मेरे बीच... प्यार की...
क्या कोई भाषा... अवसर की आशा...
सुबह-सवेरे...चाय की चुस्की के संग...
चेहरे पर एक मुस्कान खिल जाना...!
दौड़ते-भागते पलों को थाम ....
नाश्ते संग दवा की याद दिलाना....!
छोटी-छोटी तक़रारों में उलझना..
फिर एक जगह मिलकर सुलझ जाना...!
चिंता के गहरे कुएँ से निकाल...
आस किरन पर झूला झुलाना...!
दुख के भीगे-भीगे क्षणों में...
आँखों से मोती चुराना ...!
बिना किसी वजह को ढूँढे ...
अनमोल हँसी को खोज निकालना...!
कोई वादा ना करके भी...
हर वादे को भरपूर निभाना....!
न कुछ कहना...न कुछ सुनना...
खामोशी की नब्ज़ पकड़ना...!
दिल से दिल के बीच बना जो...
उस अनदेखे पुल को थामे रहना...!
बस ! यही... तुम्हारे-मेरे बीच प्यार की...
अमिट, अमोल, सरल परिभाषा .....!!!
ReplyDeleteन कुछ कहना...न कुछ सुनना...
खामोशी की नब्ज़ पकड़ना...!
दिल से दिल के बीच बना जो...
उस अनदेखे पुल को थामे रहना...!
बस ! यही... तुम्हारे-मेरे बीच प्यार की...
अमिट, अमोल, सरल परिभाषा .
प्रेम को परिभाषित करती खुबसूरत रचना बधाई
आपने इस रचना में जीवन को परिभाषित कर दिया, बहुत ही सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
उत्कृष्ट प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरेया |
अब इस परिभाषा के बाद बचा ही क्या ? :):) बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteयही तो सच्ची परिभाषा है....
ReplyDeleteयही सच्चा प्रेम भी है.
बहुत सुन्दर अनिता
<3
सस्नेह
अनु
व्यापक सात्विक फलक की सुन्दर प्रस्तुति .
ReplyDeleteदिल से दिल के बीच बना जो...
उस अनदेखे पुल को थामे रहना...!
बस ! यही... तुम्हारे-मेरे बीच प्यार की...
अमिट, अमोल, सरल परिभाषा .....!!!
मैंने मानव को पूजा है पाषाणों से प्यार नहीं है .......बहुत सुन्दर दाम्पत्य प्रेम में समर्पण और मुग्धा भाव की रचना .
अनीता जी नमस्ते |बहुत ही सुन्दर कविता आभार |
ReplyDeleteसराहना व प्रोत्साहन के लिए आप सभी का तहे दिल से धन्यवाद व आभार ! :-)
ReplyDelete~सादर!!!
प्यारी परिभाषा
ReplyDeleteहाँ यही प्यार है...
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत ..
दिल की बात दिल तक...
:-)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति .सराहनीय अभिव्यक्ति . मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
ReplyDeleteसादा जीवन उच्च विचार ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ....
शुभकामनायें ...
परिभाषा में कहाँ बँध पाती है इतनी गहन अनुभूति !
ReplyDeleteबस प्रेम है तो इन सीधी सरल बातों ही है..... सुंदर पंक्तियाँ
ReplyDeleteमुबारक प्रेम दिवस ,अतीत के झरोखों से झांकता ,ताकता प्रेम .
ReplyDeleteप्रेम दिवस पर समर्पण भाव की इस कविता को देखेके एक शैर याद आ गया -
सब कुछ खुदा से मांग लिया तुमको मांगकर ,
उठते नहीं हैं हाथ मेरे इस दुआ के बाद .शुक्रिया आपकी टिप्पणीका .आप दम्पति को प्रेम दिवस 365 दिन का हो .मुबारक .
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteक्या क हने
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार ! :-)
ReplyDelete~सादर!!!
तुमसे ही है अब रोजनामचा .बढ़िया रचना .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeleteतुम्हारे-मेरे बीच... प्यार की...
क्या कोई भाषा... अवसर की आशा...
सुबह-सवेरे...चाय की चुस्की के संग...
चेहरे पर एक मुस्कान खिल जाना...!
pyaar ki sundar paribhasha..
ReplyDeletehttp://kahanikahani27.blogspot.in/
इतना कुछ है तो सबकुछ है ....:))
ReplyDeleteबहुत प्यारी सी परिभाषा प्यार की :)
ReplyDeleteवहा वहा क्या बात है बहुत खूब्रुसती से लम्हों को एक कविता का एक रचना का रूप दे दिया अपने
ReplyDeleteक्या लिखा है आपने
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
सराहना व प्रोत्साहन के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार!:-)
ReplyDelete~सादर!!!
सच्चे प्रेम का सजीव चित्रण किया है आपने ।
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