खुली आँखों के सपने भी कभी सच होते हैं ...? आज भी विश्वास नहीं होता ... मगर ऐसा हुआ ...!
बहुत दिन नहीं बीते, अभी २७ जनवरी २०१३ की ही बात है ...
मैं अपने पति और बेटे के साथ सी आई आई पार्ट्नरशिप समिट 2013 (CII Partnership Summit 2013) में आगरा गयी थी !
जाने का बिलकुल मन नहीं था क्योंकि घर में रेनोवेशन का बहुत काम फैला हुआ था
और मुझे लग रहा था कि वहाँ मेरे काम की चीज़ तो कोई होगी नहीं !
ताजमहल देखने का मुझे कोई चाव नहीं था क्योंकि मेरे मामा जी के आगरा में होने की वजह से..
हम हमेशा छुट्टियों में वहाँ जाया करते थे और हर बार ताजमहल भी देखने जाते थे !
मगर पतिदेव का मन था कि वो मेरे साथ ताजमहल देखें !
फिर पतिदेव ने ये भी बताया कि उस समिट में दिन में कान्फरेन्स है..
और दो शामों यानी २७ जनवरी व २८ जनवरी को कल्चरल ईव्निंग भी है!
देश के उप-राष्ट्रपति तथा यू .पी . के मुख्यमंत्री आ रहे हैं,
तो ज़ाहिर है... कुछ अच्छा ही कार्यक्रम होगा !
मुझे नृत्य व संगीत देखने सुनने का बहुत शौक है , इसलिए मैनें भी हामी भर दी !
२७ तारीख़ की शाम को समिट का उदघाटन हुआ , कुछ भाषण वगैरह हुए !
फिर सब डेलिगेट्स को बस के द्वारा 'आई .टी . सी मुग़ल' होटेल के लॉन्स में पहुंचा दिया गया !
इस पूरी शाम के 'शो' की कॉम्पियरिंग 'टी वी और फिल्म आर्टिस्ट' 'सौम्या टंडन' कर रहीं थीं !
वो बहुत खूबसूरत और कमाल की लगीं !
पहले वहाँ दीप प्रज्वलित किए गये, फिर कुमकुम धर जी का कत्थक नृत्य हुआ ! मुझे उनका नृत्य बहुत पसंद आया !
मैं उसी में मग्न थी...तभी मेरी एक मित्र ने मुझे बताया कि शायद 'श्यामक डावर' का शो भी है !
मुझे विश्वास ही नहीं हुआ ! सरोज खान जी, फराह खान, प्रभुदेवा और श्यामक, ये सभी मेरे पसंदीदा नृत्य निर्देशक हैं !
श्यामक की तो मैनें वर्कशॉप भी अटेंड की हुई थी ! मैं तो उसकी बहुत, बहुत बड़ी फ़ैन.. फ़ैन नहीं बल्कि 'ए.सी.' ठहरी !
फिर अनाउंसमेंट हुआ कि....
अपने चहेते डॉन्स आइकॉन 'नन अदर दैन... 'श्यामक' और उसके ट्रूप का तालियों से स्वागत कीजिये !
मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं था ...!
श्यामक के ग्रुप ने कुछ सूफी गाने जैसे 'ख्वाजा मेरे ख्वाजा ' 'कहने को जश्ने बहाराँ है ' ,
'रामायण' पर, नृत्य नाटिका इत्यादि प्रस्तुत किये ! उसी में काफी समय लगा !
मेरी सहेली बोली, ''श्यामक हर जगह नहीं जाता है, उसका ग्रुप ही परफॉर्म करता है "!
मुझे बड़ी निराशा हुई ...! फिर भी मैं ऐसे ही , उसके ग्रुप को ही देखकर खुश होने की कोशिश करने लगी ...!
तभी उसके ग्रुप ने 'आ जा, आ जा, जिन्द शामियाने के तले ..आ जा ...' पर डांस शुरू किया ..
अचानक...पीछे अँधेरे से एक साया उभरा .... 'जय हो !'
काला कोट पहने 'श्यामक' की धुआंधार एंट्री हुई !
"श्यामक !" मैनें मुंह से चीख निकलते निकलते दबा ली ....!
मेरे तो झूमने और ताली बजाने पर कोई कंट्रोल ही नहीं हो रहा था ...!
उस वक़्त मैं सबकुछ भूल गयी ... बस! श्यामक की धुनों और गीतों की बीट्स पर मैं झूम-झूम कर तालियाँ बजा रही थी ...!
थोड़ी देर में शो ख़त्म होने को आया !
श्यामक अपने शोज़ में, अंत में हमेशा अपने दर्शकों को बुलाता है, स्टेज पर ले जाता है , ये मैनें सुना था !
झूम हम लोग पहले ही रहे थे , फिर वो स्टेज से नीचे उतर आया..और सबको बुलाने लगा !
मेरी सहेली ने भी मुझसे कहा, ''चलो आगे चलते हैं! ''
मुझे ज़रा संकोच हो रहा था .... दूर बैठकर ताली बजाना और झूमना अलग बात है ! ऐसे बिलकुल सामने चला जाना ...
फिर भी सभी लोग आगे आ गए थे ! एक सेमी-सर्कल सा बन गया था !
श्यामक मुझसे कुछ ही दूरी पर था , वो दूसरी ओर मुंह करे खड़ा था , हम सब ताली बजा रहे थे !
अचानक वो मुड़ा , उसने मुझे देखा और बोल पड़ा .. "ओ ! कम! कम! " और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया !
पीछे से किसी की आवाज़ सुनाई दी ..." जाओ! जाओ ना !"
मैं तो जैसे पता नहीं कहाँ थी ... उसने मेरा हाथ पकड़ा और ले गया मुझे स्टेज पर !
मैं उस वक़्त सातवें आसमान पर और असंमजस व संकोच के मिली-जुली भावनाओं के बीच झूल रही थी !
स्टेज के स्टेप्स चढ़ते -चढ़ते मैनें उसे बताया कि ये मेरी ज़िन्दगी का सपना था कि मैं उसका लाइव शो देखूँ !
वो भी हंसकर बोला "ओ रियली !"
स्टेज पर जब और कुछ लोग आ गए तब मैं ज़रा पीछे खिसक गयी !
उसने एक-आध स्टेप्स बताये , बहुत ही मजेदार तरीके से !
फिर सबको बाय कह कर जाने वाला था , तभी मेरे पति भी आ गए !
मैनें ज़रा सकुचाते हुए श्यामक से पूछा "कैन आई हैव ए फोटोग्राफ विध यू ...प्लीज़?"
इसपर वो बोला, "येस ओफ़कौर्स!"
मेरे पति ने हम दोनों की फोटो खींची !
उसके बाद... इसके पहले कि और पब्लिक आती , वो भागकर अन्दर चला गया !
मैं अभी भी सोचती हूँ .... मैं श्यामक से मिली .....
जिसके लिए मैं हमेशा कहती थी ... 'काश! श्यामक मुझे एरोबिक्स के कुछ स्टेप्स सिखा दे ' , मैं उसके साथ थी ...
एक सपना सा लगता है....
लखनऊ से आगरा जाते वक़्त, मॉल में बच्चों से सारे गुब्बारे खरीदने और उन्हें कुछ कपडे देने की ख़ुशी साथ लेकर गयी थी !
आगरा पहुँच कर इतनी बड़ी ख़ुशी मिली , जिसकी मुझे कभी सपने में भी उम्मीद नहीं थी ......... :-)
Anita ji,sundar abhivyakti.kahi se bhi khusi mile.bas ilni chahiye.
ReplyDeleteजो सपने हकीकत में बदल जाते हैं उन्हेंं सपने नहीं कहते।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
सच में कभी कभी उम्मीद से बढकर खुशियां और मुरादें पूरी हो जाती हैं और सहेजना अच्छा लगता है, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
सपने ऐसे ही अचानक से सच होते हैं
ReplyDeleteआपकी खुशियों को महसूस कर सकते हैं हम.....
ReplyDelete:-)
अनु
badhai ho anita ji par bahut kam hi aise khushnaseeb hote hain jinke sapne sach hote hain achchha laga padhkar ki aap unme se ek hain .सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्तिबेटी न जन्म ले यहाँ कहना ही पड़ गया . आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
ReplyDeleteअच्छा रहा फिर तो
ReplyDeleteपहले आप जाने के लिए ही मना कर रहीं थी
अफसोस होता फिर तो..
अच्छा लगा जानकर ..... :)
ReplyDeleteHow Nice.....Nice Pictures...
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ReplyDeleteहमें तुम्हारी ख़ुशी का अंदाज़ा है .......:)
acchchha laga padhna...
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार -
कलाकारों का दिल और दिमाग दोनों खुला रहता है मेरे आपके दिल में ही तो वह रहतें हैं .बधाई आपकी ख़ुशी में हम भी शरीक हैं .
ReplyDeleteखुशी के चार पल मिल जाएं तो जीवन सम्पूर्ण मानिए ...
ReplyDeleteअच्छा लगा आपको खुश देख कर ...
मेरी खुशी में शरीक़ होने के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार ! :-)
ReplyDelete~सादर!!!
aapki khushi hamari khushi !
ReplyDeleteवाह .....!!
ReplyDeleteआपके साथ हम भी रोमांचित होते रहे .....
बहुत अच्छा किया आपने उस घटना का .....!!
बधाई मनचाही मुराद के लिए .....:))
sundar Prastutee
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सपने सच भी होते हैं ........
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ReplyDeletemujhe aapki khushi ka blikul bhi andaaza nhi hae, naa hi mae vo nadaaza lga paunga, bs ye jaanta hu ki shayad us waqt apke lie puri duniya thamm si gai hogi, apko lga hoga ki ye ho bhi rha hae ya mera vahan hae..Khaer aapne positive experience share kiya achchha lga.Thanks for that..
Bahub bahut badhai Anita ji!! aisi khushiyan aapko bar-bar mile.. Amen!!
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