ख़्वाबों को अख़बार न कर
ख़ुद से इतना प्यार न कर।
ये जीवन इक बाज़ी है
रिश्तों को हथियार न कर।
महँगी माना खुशियाँ हैं
अश्कों का व्यापार न कर।
फूल मिलें जब राहों में
काँटों को बेज़ार न कर ।
अरमानों की महफ़िल में
ग़म का तू इज़हार न कर ।
लेकर बातों के ख़ंजर
अपनों पर तू वार न कर।
साँस-किराया देता चल
कम-ज़्यादा तक़रार न कर।
ख़ुद से इतना प्यार न कर।
ये जीवन इक बाज़ी है
रिश्तों को हथियार न कर।
महँगी माना खुशियाँ हैं
अश्कों का व्यापार न कर।
फूल मिलें जब राहों में
काँटों को बेज़ार न कर ।
अरमानों की महफ़िल में
ग़म का तू इज़हार न कर ।
लेकर बातों के ख़ंजर
अपनों पर तू वार न कर।
साँस-किराया देता चल
कम-ज़्यादा तक़रार न कर।