सुनो कभी खामोशी की कहानी....खामोशी की ज़ुबानी.....
सुनो कभी खामोशी की कहानी...
दर्द लिख जाता.. खूबसूरत सी रुबाई...आँखों में...
अश्कों की रवानी...तैरते खुश्क़ सपनों की ज़ुबानी...!
सुनो कभी खामोशी की कहानी..!
चाँदनी लजाती, बिखरती.. गुम जाए...सूनी सियाह रात में..
क़तरा क़तरा चाँद से पिघले...हो जाती शबनम बेमानी..!
सुनो खामोशी की कहानी..!
ख्वाहिशों की क़तार बहकती...भटक जाए....राह-ए-जुनूँ में..
सेहरा में रिसते छाले...हो जाती मोहब्बत पानी पानी..!
सुनो कभी खामोशी की कहानी..!
रूह आज़ाद महकतीं... गुनगुनाए ...ठंडे जिस्म में...
धड़क उठते..दहकते शोले...खिल जाती.. ज़िंदगी की वीरानी..!
सुनो कभी खामोशी की कहानी.....!!!
अनिताजी, आपको अपना ब्लॉग प्रारंभ करने के लिए बधाई और सफलता के लिय शुभकामनायें. उम्मीद है की आप इस माधय्म से अपने ज़ज्बातों को नयी परवाज़ और अपनी संवेदनशीलता को नए आयाम देंगी. विश्वास है की आप विचारशीलता और रचनाधर्मिता के नए और ऊंचे मुकाम हासिल करेंगी.
ReplyDeleteसुनील जी, बहुत बहुत धन्यवाद ! :-) आप यहाँ पधारे, इस ब्लॉग की शोभा बढ़ायी !
Deleteआपकी शुभकामनाओ का तहे दिल से शुक्रिया ! :-)
कोशिश रहेगी हमारी, कि आपके विश्वास का मान रख सकें !
बहुत सुन्दर रचना अनिता जी. सुन्दर बिम्बों के प्रयोग से आपने मन के कोमल भावों का सजीव चित्र उकेर दिया और रचना भले" ख़ामोशी कि कहानी" हो पर बहुत बोलती हुई सी है. साधुवाद स्वीकार करें.
Deleteख़ामोशी ही टूटे दिल की जुबां होती है,
तनहाइयों में आवाज़ बन कर बयाँ होती है.
ख़ामोशी तेरी आवाज़ दिल को भाती है,
तेरी बातें मन को बहलाती है,
डर तो सिर्फ इतना है ऐ ख़ामोशी,
कि तुझसे दोस्ती कहीं मुझे बेजुबां न बना दे...
सुनील जी....निःशब्द कर दिया आपने !
Deleteइतनी खूबसूरत पंक्तियों से नवाज़ने का बहुत बहुत शुक्रिया! :-))
खामोशी को खामोशी से...सुनना अच्छा, गुनगुनाना अच्छा..., खामोशी में महकना अच्छा, बहकना अच्छा.....मगर उसके बयाँ होने के रास्ते बंद नहीं करिएगा कभी...वरना वो घुट कर रह जाएगी और अपनी खूबसूरती खो बैठेगी..
बहुत सुन्दर रचना अनिता जी. सुन्दर बिम्बों के प्रयोग से आपने मन के कोमल भावों का सजीव चित्र उकेर दिया और रचना भले" ख़ामोशी कि कहानी" हो पर बहुत बोलती हुई सी है. साधुवाद स्वीकार करें.
ReplyDeleteख़ामोशी ही टूटे दिल की जुबां होती है,
तनहाइयों में आवाज़ बन कर बयाँ होती है.
ख़ामोशी तेरी आवाज़ दिल को भाती है,
तेरी बातें मन को बहलाती है,
डर तो सिर्फ इतना है ऐ ख़ामोशी,
कि तुझसे दोस्ती कहीं मुझे बेजुबां न बना दे...
ख्वाहिशों की क़तार बहकती...भटक जाए....राह-ए-जुनूँ में..
ReplyDeleteसेहरा में रिसते छाले...हो जाती मोहब्बत पानी पानी..!
सुनो कभी खामोशी की कहानी.....
बहुत खूब ... इस खामोशी की कहानी बहुत कुछ दर्द भरा नग्मा कह रही है ... भाव मय रचना ...
दिगम्बर नासवा जी, बहुत बहुत धन्यवाद !:)
Deleteकहने को तो खामोशी बेज़ुबान होती है, मगर इसकी गूँज का असर हमारे पूरे वजूद पर दिखाई देता है !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति मैम
ReplyDeleteखामोशी अक्सर कुछ न कहकर भी सब कुछ कह देती है
Anjani Kumar ji....सही कहा आपने ! खामोशी की बेज़ुबानी में ही गूँजती उसकी कहानी है ! बहुत बहुत शुक्रिया ! :-)
ReplyDeleteसत्य !सत्यता कों बहुत करीब से तुममे जीती हूँ मै..!
ReplyDeleteभाषा के संस्कार, कल्पना की गहराई, अनुभव की पूर्णता,
और मार्मिकता, मौलिक अलंकारों से सुशोभित है तुम्हारी रचना मित्र!
हम आशा करते हैं अपनी इन अर्थ प्रदान करने वाली कवितावों के द्वारा, हम सब का मार्ग तुम प्रकाशित करती रहोगी... आभार!
प्रकृति.......दिल से लिखती हो तुम...और सीधे दिल में उतर जाते हैं तुम्हारे शब्द ! तुम्हारी प्यार और उत्साहवर्धक बातों का तहे दिल से शुक्रिया दोस्त ! बहुत बहुत आभार ! :))
Deletenihayat umda sharing....stay blessd
ReplyDeleteचाँदनी लजाती, बिखरती.. गुम जाए...सूनी सियाह रात में..
ReplyDeleteक़तरा क़तरा चाँद से पिघले...हो जाती शबनम बेमानी..!
सुनो खामोशी की कहानी..!
शब्द शब्द सुनी मैंने
खामोशी कहानी
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 - 11 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
सच ही तो है .... खूँटे से बंधी आज़ादी ..... नयी - पुरानी हलचल .... .
धन्यवाद व आभार...संगीता जी !
Delete~सादर
बहुत खूबसूरत भाव संजोये हैं।
ReplyDeleteवाह बहुत खूब
ReplyDeleteone word "wow"
ReplyDeleteआप सभी का हार्दिक धन्यवाद व आभार !:-)
ReplyDelete~सादर !
बेहतरीन !
ReplyDeleteaapne apne shbdon se khamoshi ko bhi aavaj de di bahut khoob
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