tag:blogger.com,1999:blog-4949246214546425563.post2968595797497615878..comments2023-12-23T15:25:54.171+05:30Comments on बूँद-बूँद लम्हे: Anita Lalit (अनिता ललित ) http://www.blogger.com/profile/01035920064342894452noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4949246214546425563.post-19571181458379222022012-05-31T21:10:48.137+05:302012-05-31T21:10:48.137+05:30जब बरसता है...माधुर्य तुम्हारा छलक़ता है भर-भर प्...जब बरसता है...माधुर्य तुम्हारा छलक़ता है भर-भर प्याला हमारा तब झूम उठता है उपवन का पोर-पोर, गाने लगते है कंठ-कोकिला के ओर-छोर ! पर होती है उनमें तेरी ही—स्वर लहरी ? दूर क्षितिज से गा उठती है, कोई मधुर मेध-मल्हार, तब मेरा मन थिरक उठता ...है...और छा जाता है कोई जादू सा मेरे सूखे प्राणों में वीणा की झंकार लिये हुए दूर तू ही खिल-खिलाता है... किसी बच्चे की हंसी बन कर झिलमिलाता है। और खुल जाते है सब कपाट ह्रदय के, श्रद्धा का अंकुरित होता है बीज कोई और दूर आ रही होती है, मधुमास की सुवास...prakritihttps://www.blogger.com/profile/10174960352515314496noreply@blogger.com